किसान न्यूज(Loan Waiver) – किसानों की कर्जमाफी (loan Waiver) का मुद्दा देश के सभी प्रमुख मुद्दों में मुख्य रूप से शामिल हैं. पिछले काफी लंबे समय से देश की केंद्र और राज्य सरकारें किसानों (Farmer’s) की कर्जमाफी को लेकर बहुत सी घोषणाएं करती रही हैं. कुल मिलाकर मौजूदा समय तक एक परपरांगत रूप में किसानों की कर्जमाफी को लेकर सरकारों की तरफ से सिर्फ घोषाणाएं होती रही है. जिसकी जरूरत को लेकर देश में बहुत तरह के बौद्धिक विमर्श भी होते रहे हैं. इस बीच अब देश की National Bank for Agriculture and Rural Development (नाबार्ड) ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी की है. जिसमें नाबार्ड ने किसानों की कर्जमाफी संबंधी घोषणाओं की परंपराओं को पूरी तरह खारिज किया है. नाबार्ड ने गहन अध्ययन के बाद जारी की इस रिपोर्ट में कहा है कि कर्जमाफी संबंधी घोषणाओं से किसानों के हालात बिल्कुल नहीं सुधरते हैं, बल्कि इससे किसानों के ज्यादा कर्जदार (Debtor) होने की संभावनाएं बहुत बढ़ जाती है.
नाबार्ड ने अपनी इस रिपोर्ट में बताया है कि ऐसी घोषणाओं से किसानों में जानबूझकर कर्ज ना लौटाने की प्रवृति की संभावना अधिक बढ़ती हैं और ईमानदार किसानों भी आदतन कर्ज ना लौटाने वाले किसानों की सूची में शामिल हो सकते हैं. इस कारण कर्ज माफी का यह चक्र लगातार चलता रहता है. नाबार्ड ने कर्ज माफी को लेकर किसानों का व्यवहार को अच्छे से समझने के लिए महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश के कुल 3000 किसानों से रूबरू हो कर इस मुद्दे पर बात की थी. जिसके बाद ही नाबार्ड ने अपनी यह रिपोर्ट पेश की है.
पंजाब प्रांत का एक किसान प्रत्येक साल औसतन 3.4 लाख रुपये का कर्ज लेता है
नाबार्ड ने किसानों से कर्जमाफी पर बातचीत के बाद पाया है कि अधिकांश किसान संस्थागत स्त्रोतों से ज्यादा कर्ज लेते हैं. रिपोर्ट के अनुसार किसानों को बैंक या अन्य संस्थाओं से अधिक से अधिक 7.7 फीसदी ब्याज पर कर्ज मिलता है, वही दूसरी गैर संस्थागत स्रोतों से कर्ज लेने पर किसानों को 9 से 21 फीसदी तक की दर से ब्याज चुकाना पड़ता है. ऐसे में किसान संस्थागत स्त्रोतों से अधिक कर्ज लेने की कोशिश करते हैं. साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि कर्ज लेने में पंजाब के किसान लोन के मामले मे अन्य राज्यों से आगे हैं. जिसके तहत पंजाब का एक किसान प्रत्येक साल औसतन 3.4 लाख रुपए तक का कर्ज लेता है. वहीं उत्तर प्रदेश राज्य का किसान प्रत्येक वर्ष औसतन 84000 रुपये और महाराष्ट्र का किसान लगभग 62,000 रुपए का कर्ज प्रत्येक साल लेता है.
नाबार्ड की रिपोर्ट अनुसार किसान कर्ज का प्रयोग दूसरे कामों के लिए भी करते हैं
नाबार्ड ने अपने इस अध्ययन में पाया है किसान कृषि कर्ज का प्रयोग खेती के अलावा दूसरे अन्य कार्यों में भी बहुत अधिक करते हैं. आगे नाबार्ड में पाया है कि किसान क्रेडिड कार्ड पर लिए गए कर्ज का डायर्वजन पंजाब में बहुत अधिक है. वहीं महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह से कृषि कर्ज का डायवर्जन है, लेकिन इस सूची में उत्तर प्रदेश राज्य में सबसे निचले पायदान में ही है.