मानव में होने वाले रोग (Human Diseases)
मानव रोग उत्पन्न होने के कई कारक हैं-जैसे-
(1) जैविक कारक :- विषाणु, जीवाणु, माइकोप्लाज्म, कवक, प्रोटोजोआ, हैल्मिन्थीज तथा अन्य जीव।
(2) पौष्टिक तत्व :- प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज लवण एवं विटामिनों की कमी।
(3) भौतक कारक :- सर्दी, गर्मी, आर्द्रता, दबाव, विद्युत, विकिरण, ध्वनि आदि।
(4) यान्त्रिक कारक :- निरन्तर अधिक समय घर्षण, चोट लगना, अस्थि टूटना, मोच आना आदि।
(5) रासायनिक कारक :- यूरिया तथा यूरिक अम्ल, रासायनिक प्रदूषक जैसे पारा, लैड, ओजोन, कैडमियम, निकिल, कोबाल्ट आदि।
(6) पदार्थों की अधिकता :- अधिक भोजन खाने से, हार्मोनों के अधिक स्रावण से, प्रदूषकों की अधिकता से रोग उत्पन्न होते हैं।
हिपेटाइटिस :- यकृत सम्बन्धी रोग है। विश्व में हिपैटाइटिस B वायरस द्वारा फैलता है। इसका संक्रमण अशुद्ध रक्त का चढ़ाया जाना, सवंमित सुई, असुरक्षित संभोग द्वारा होता है। इसके बचाव के लिए हिपेटाइटिस का टीका लगवाना चाहिये।
पैतृक रोग (inherited Diseases) दो प्रकार के होते हैं –
(1) उपापचयी त्रुटियों के कारण :- इसमें तीन मुख्य रोग हैं-
(1) फिनाइल कीटोन्यूरिया
(2) ऐल्केप्टो न्यूरिया
(3) ऐल्बिनिजम
(2) गुणसूत्रों की अनियमितताओं से भी कई रोग जैसे क्लाइनफेल्टर सिन्ड्रोम, टरनर्स सिन्ड्रोम, मंगोलिज्म आदि हो जाते हैं।
एलर्जी (Allergi) :- इसमें व्यक्ति किसी पदार्थ के प्रति अत्यन्त संवेदनशील हो जाता है। ये पदार्थ जब प्रोटीन होते हैं तो इन्हें एन्अीजेन (प्रतिजन) कहते हैं। शरीर इन प्रतिजनों के खिलाफ कुछ प्रोटीन पदार्थ बनाता है जिसे प्रतिरक्षी (Anti Bodies) कहते हैं। जब कोई पदार्थ जिसके प्रति शरीर संवेदनशील होता है, शरीर में प्रवेश करता है तो ये प्रतिरक्षी उस पर आक्रमण करते हैं। फलस्वरूप हिस्टामीन नामक पदार्थ कुछ कोशिकाओं से निकलता है और यही हिस्टामीन रक्त द्वारा श्लेष्मकला या त्वचा तक पहुँचकर एलर्जिक लक्षण जैसे छीक आना, सांस फूलना, पित्ती, खुजली आना तथा आँखों में पानी आना आदि लक्षण उत्पन्न करता है।
गठिया (आर्थराइटिस) :- इस रोग से यूरिक अम्ल शरीर के बाहर न निकल पाने के कारण शरीर के जोड़ों (Joints) में एकत्र हो जाता है जिससे वहाँ पर दर्द तथा सूजन उत्पन्न हो जाती है और यह रोग सीधे तौर पर भोजन पर निर्भर करता है।
नोट :-
ल्यूकेमिया क्या है – रक्त का कैंसर
डिफ्थीरिया रोग शरीर के किस भाग को प्रभावित करता है – गले को
प्लेग का वाहक क्या है – पिस्सू (Rat Fly)
बहु औषधि उपचार (Multi Drug Therapy) किसके उपचार हेतु दी जाती है – कुष्ठ निवारण हेतु
सिफलिस, गोनोरिया तथा एड्स को किस प्रकार का रोग कहा जाता है – लैंगिक संचरित रोग
चीनोपोडियम का तेल किस रोग में प्रयुक्त किया जाता है – ऐस्केरियेसिस
फीता कृमि का संक्रमण होता है – सुअर का अधपका मांस खाने से
डेगू ज्वर किस मच्छर से फैलता है – एडीज इजिपटी
वइरस के उपचार में प्रयोग किया जाता है – इंटरफेराॅन (Interferon)
गठिया रोग में जोड़ों में किस अम्ल का जमाव से जाता है – यूरिक अम्ल
एफ्लाटाॅक्सिन पदार्थ किस कैंसर को उत्पन्न करते हैं – यकृत कैंसर
रोडेन्ट अल्सर है – त्वचा कैंसर जो चेहरे को प्रभावित करता है
पसीने में पाये जाने वाले विषाणु नाशक एंजाइम का नाम – लाइसो जाइम
प्रजिनों के जवाब में प्रतिरक्षी तन्त्र कौन-सी कोशिकाएँ उत्पन्न करता है – एण्टीबाॅडी
पोलियो का विषाणु कौन से ऊतक को नष्ट करता है – मेरुरज्जु के पृष्ठ श्रृंगों को
फील पांव का कारक कौन है – वूचेरिया बैंक्रोफ्टाई
सभी कोशिकाओं में ’आंकोजीन्स’ (Onchogenes) उपस्थित होता है, किसी कारण से ये आंकोजीन्स सक्रिय हो जाती हैं तथा कैन्सर कोशिकाएँ उत्पन्न करने लगती हैं।
कैंसर को तीन समूहों – कार्सीनोमा, सार्कोमा, ल्यूकीमिया में बाँटा गया है। कार्सीनोमा एक्टोडर्म उद्गम के ऊतकों में होता है। जैसे स्तन कैंसर, फेफड़ों का कैंसर आदि। सार्कोंमा कैंसर मीसोडर्म उद्गम के ऊतकों में होता है जैसे अस्थि कैंसर, लसिका गांठें, त्वचा कैंसर आदि।