हार्मोन (Hormones)

हार्मोन (Hormones)

हार्मोन जटिल कार्बनिक यौगिक है जो अत्यन्त सूक्ष्म मात्रा में विशिष्ट ग्रन्थियाँ द्वारा स्रावित किये जाते हैं। ये विशिष्ट ग्रन्थियाँ अन्तःस्रावी (Endocrine) या नलिका विहीन ग्रन्थियाँ  (Ductless glands)  भी कहलाती है। हार्मोन उपापचय क्रियाओं, जनन, वृद्धि, विकास, रूधिर दाब, रूधिर में जल की मात्रा आदि का नियन्त्रण करते हैं। इनका स्रावण यदि शरीर में बढ़ जाये या बन्द हो जाये तो शरीर की समस्त जैविक क्रियाएं प्रभावित होती है और शरीर में बहुत-सी असामान्यताएँ उत्पन्न हो जाती हैं।

कशेरूकी प्राणियों में हार्मोन, स्रावित करने वाली ग्रन्थियों को तीन भागों-बहिःस्रावी (स्वेद, यकृत, लार, सिबेशियम ग्रन्थियाँ आदि) अन्तःस्रावी (थायराइड, पैराथाइराइड, पीयूष तथा एड्रीनल आदि) तथा मिश्रित ग्रन्थियाँ (अग्न्याशय) में बाँटा गया है।

प्रो0 हक्सले ने हार्मोनों को शरीर के रासायनिक दूत कहकर पुकारा। रासायनिक रूप से हार्मोन्स प्रोटीन्स, पेप्टाइडस, अमीनो अम्ल होते हें।
थाॅमस एडिसन को अन्तःस्रावी विज्ञान का पिता कहा जाता है। हार्मोन की आधुनिक परिभाषा वेलिस और स्टर्लिंग ने दी। हार्मोन शब्द का प्रयोग स्टर्लिंग ने उत्तेजक पदार्थों के रूप में किया।

थायराइड के हार्मोन :-  सामानयतः मनुष्य 100-200 माइकोग्राम आयोडीन भोजन में प्रतिदिन लेता है। 2/3 भाग तो मूत्र के साथ निकल जाता है। शेष 1/3 भाग आयोडीन शरीर में रहता है। वैसे शरीर में लगभग 50 ग्राम आयोडीन हर समय होती है। 10-15 ग्राम आयोडीन थायराइड ग्रन्थि में होती है। यह आयोडीन थाइरोग्लोब्युलिन में उपस्थित एक अमीनो अम्ल ’टाइरोसीन’ से मिलकर दो हार्मोनों का निर्माण करती है – 65% .80% थाइराक्सिन या ’टेट्राआयोडोथाइरोनीन’। थाइराइड ग्रन्थि की स्रावण दर का प्रमुख नियन्त्रण पीयूष ग्रन्थि द्वारा स्रावित थाइराइड प्रेरक हार्मोन अर्थात ’थाइरोट्रोपिन’ करता है।

कैल्सीटोनिन हार्मोन या थाइरोकैल्सिटोनिन हार्मोन थाइराइड के स्ट्रोमा की ‘C’ कोशिकाओं द्वारा स्रावित होता है।
थाइराइड ग्रन्थि के आवश्यकता से कम सक्रिय होने पर जड़वामनता (Criticism) मिसीडिमा (Myxodema) घेंघा नामक रोग हो जाता है।

पैराथाइराइड ग्रन्थि दो प्रकार के हार्मोन  (1)  पैराथारमोन तथा (2) कैल्सिटोनिन या कोलिप हार्मोन का श्रावण करती है। यह हार्मोन 84 अमीनो अम्लों का बना एक प्रोटीन होता है। पैराथाइराइड की अतिसक्रियता के कारण उत्पन्न रोगों को हाइपर पैराथाइराॅइड कहते हैं।

पीयूष ग्रन्थि से लगभग 13 से भी अधिक हार्मोन सा्रवित होते हैं। इस ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि कहते हैं।
पीयूष ग्रन्थि के अग्र पिण्डक या एडिनोहाइपोफाइसिस से कम से कम 7 हार्मोन स्रावित होते हैं,

जो निम्न हैं -;

  1.  सोमैटोट्रोपिक हार्मोन या वृद्धि हार्मोन (H.T.S)
  2.  थाइरोट्रोपिक हार्मोन या थाइराइड उद्दीपक हार्मोन
  3.  एड्रीनोकोर्टिको ट्रोपिक हार्मोन
  4.  गोनैनैडोट्रोपिक हार्मोन (a) फाॅलिकल उत्तेजक हार्मोन (b) ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन।
  5. लैक्ओजेनिक या प्रोलेक्टिन हार्मोन
  6. डाय बैक्ओजेनिक हार्मोन।
  7. मध्य पिण्डक द्वारा ’इन्टरमीडिन’ नामक हार्मोन का स्रावण होता है। पश्च पिण्डक या न्यूरोहाइपोफाइसिस द्वारा वेसोप्रोसिन या एन्टीड्यूरेटिक हार्मोन तथा आक्सीटोसिन अथवा पिटोसिन नामक हार्मोन का स्रावण होता है।

एड्रीनल कार्टेक्स द्वारा स्रावित हार्मोनों में -: (1) लिंग हार्मोन (2) ग्लूको काॅर्टी क्वायड्स हार्मोन (3) मिनरेंलो काॅर्टिक्वायड्स हार्मोन आते हैं।

एड्रीनल मेड्यूला से स्रावित हार्मोंनों में -: (1) एड्रीनेलिन अथवा एपिनेफ्रीन (2) नार-एड्रीनेलिन या नार-एपिनेफ्रिन।

एड्रीनल कार्टेक्स के स्रावण का नियन्त्रण पीयूष ग्रन्थि के अग्रपिण्ड से स्रावित एड्रीनों काॅर्टिको ट्रोपिक हार्मोन  (ACTH)  करता है। पीयूष ग्रन्थि को ACTH के स्रावण की प्रेरणा हाइपोथैलमस से प्राप्त होती है।

पीनियल ग्रन्थि (Pineal Gland)  :- से ’मिलेटोनिन तथा ’सिरेटोनिन’ नामक हार्मोन स्रावित होते हैं।
अग्न्याशय की α (अल्फा) कोशिकाओं से ग्लूकेगाॅन हार्मोन तथा β (बीटा) कोशिकाओं से ’इन्सुलिन’ हार्मोन स्रावित होता है। इन्सुलिन के कम स्रावण से रुधिर में ग्लूकोज की सान्द्रता काफी बढ़ जाती है, इस स्थिति को हाइपर ग्लाइसीमिया कहते हैं। इसी से ’मधुमेह नामक बीमारी हो जाती है। ग्लूकोगाॅन की खोज ’किम्बल एवं मर्लिन’ ने की।

जनन ग्रन्थियाँ :-  अण्डाशय की पुटिकाओं द्वारा स्रावित हार्मोनों में (1)एस्ट्रोजन (ग्रैफियल फालिकुल द्वारा स्रावित) (2) प्रोजेस्टीरोन (काॅर्पस ल्यूटियम से स्रावित (3) रिलैक्सिन हार्मोन आदि आते हैं।

वृषण द्वारा स्रावित हार्मोन को ’एन्ड्रोजन’ कहते हैं। इस श्रेणी का मुख्य हार्मोन टेस्टोस्टीरोन हैं।

प्लैसेण्टा:- उस मोटी झिल्ली को कहते हैं जिससे भ्रूण गर्भाशय की दीवार से जुड़ा होता है। (यूथीरिया स्तनियों में)। प्लेसेण्टा की कोशिकाओं से स्रावित होने वाले हार्मोनों में – (1) कोरियोनिक मोनैड्रोट्राॅपिक हार्मोन, (2) प्लैसेण्टल लैक्टोजन (3) एस्ट्रोजन तथा (4) प्रोजैक्टीरोन तथा रिलैक्सिन आदि हैं।

वृक्क:- वृक्क की कोशिकाओं द्वारा स्रावित हार्मोनों में रेनिन, एरिथ्रोजेनिन तथा रीनो मेड्यूलरी प्रोस्टाग्लैंडिस आते हैं।

आमाशय आॅन्त्रीय श्लेष्मिका से स्रावित हार्मोनों में मुख्य हार्मोन ’गैस्ट्रिन’ है।

ग्रहणी से स्रावित हार्मोनों में- (1) सिक्रीटिन, (2) पैन्क्रियोजाइमिन (3) कोलिसिस्टोकइनिन (4) एन्टिरोकाइनिन तथा (5) एण्टिरोगैस्ट्रोन आदि।

नोट:-

  • स्टर्लिंग ने सर्वप्रथम 1905 हार्मोन शब्द का प्रयोग किया।
  • थामस एडिसन के अनुसार एड्रीनल ग्रन्थि का कार्टेक्स भाग नष्ट कर दिया जाय तो एडिसन रोग उत्पन्न हो जाता है।
  • मनुष्य में चार पैराथाइराइड ग्रन्थियां होती है। ये छोटी-छोटी गोल मटर के दानों के समान ग्रन्थियां हैं। जो थाइराइड ग्रन्थि की पृष्ठ सतह पर होती हैं। किन्तु इनका थाइराइड ग्रन्थि से क्रियात्मक रूप से कोई सम्बन्ध नहीं होता है।
  • क्लाइडी बर्नाड ने हार्मोनों को ’आन्तरिक स्राव’ की संज्ञा दी।
  • कैल्सिटोनिन तथा पैराथारमोन को सामूहिक रूप से कालिप हार्मोन कहते हैं। ये हार्मोन कैल्शियम तथा फास्फोरस की मात्रा का नियमन करते हैं। तथा ये गुर्दों की कोशिकाओं को और अधिक फास्फेट उत्सर्जित करने के लिए उत्तेजित करते हैं।
  • पीयूष ग्रन्थि के विषय में एक विवाद है। हस्किन के अनुसार यह ग्रन्थि अन्तः स्रावी ग्रन्थि नहीं बल्कि लसिका ग्रन्थि है किन्तु आज सभी वैज्ञानिक इसे अन्तः स्रावी ग्रन्थि ही मानते हैं क्योंकि इसका स्रावण सीधा रूधिर में मिल जाता है।
  • कनाडा के दो वैज्ञानिकों वैटिंग एवं वैस्ट ने इन्सुलिन का सक्रिय सत निकाला। सैगर ने सर्वप्रथम गाय के इन्सुलिन के अणु की रचना का पता लगाया तथा कहा कि यह एक पाॅली पेप्टाइड होता है। इस कार्य के लिए डा0 सैंगर को 1958 में नोबेल पुरस्कार मिला।
    एल्डोस्टीरोनता रोग एल्डोस्टीरोन की अधिकता से होता है।
  • एड्रीनल विरलिज्म स्त्रियों में लैंगिक काॅर्टिक्वायड्स के अधिक स्रावण से होता है। इससे स्त्रियों में नर के गौण लैंगिक लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।

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