सिखों में धार्मिक सुधार:- सिख लोगों में धार्मिक सुधार का आरंभ 19वीं सदी के अंत में हुआ जब अमृतसर में खालसा की स्थापना हुई। लेकिन सुधार के प्रयासों को बल 1920 के बाद मिला जब पंजाब में अकेली आंदोलन का आंरम्भ हुआ। अकालियों का मुख्य उद्देश्य गुरूद्वारों के प्रबंध का शुद्धिकरण करना था इन गुरूद्वारों को भक्त सिखों की ओर से भारी मात्रा में जमीन और धन मिलते थे, परंतु इनका प्रबंध भ्रष्ट तथा स्वार्थी महंतो द्वारा मनमाने ढंग से किया जा रहा था। अकालियों के नेतृत्व में 921 सिख जनता ने इन महंतो तथा इनकी सहायता करने वाली सरकार के खिलाफ एक शक्तिशाली सत्याग्रह आंदोलन छेड़ दिया। सिखों में धार्मिक सुधार:- सिख लोगों में धार्मिक सुधार का आरंभ 19वीं सदी के अंत में हुआ जब अमृतसर में खालसा की स्थापना हुई। लेकिन सुधार के प्रयासों को बल 1920 के बाद मिला जब पंजाब में अकेली आंदोलन का आंरम्भ हुआ। अकालियों का मुख्य उद्देश्य गुरूद्वारों के प्रबंध का शुद्धिकरण करना था इन गुरूद्वारों को भक्त सिखों की ओर से भारी मात्रा में जमीन और धन मिलते थे, परंतु इनका प्रबंध भ्रष्ट तथा स्वार्थी महंतो द्वारा मनमाने ढंग से किया जा रहा था। अकालियों के नेतृत्व में 921 सिख जनता ने इन महंतो तथा इनकी सहायता करने वाली सरकार के खिलाफ एक शक्तिशाली सत्याग्रह आंदोलन छेड़ दिया। जल्द ही अकालियों ने सरकार को मजबूर कर दिया कि वह एक सिख गुरूद्वारा कानून बनाए। यह कानून 1922 में बना और 1925में इससे संशोधन किए गए। कभी-कभी इस कानून की सहायता से मगर अधिकतर सीधी कार्यवाही के द्वारा सिखों ने गुरूद्वारों से भ्रष्ट महंतो को धीरे-धीरे बाहर खदेड़ दिया, हालांकि इस आंदोलन में सैकड़ों को जान से हाथ धोना पड़ा।