WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now

वैदिक संस्कृति

          वैदिक शब्द वेद से बना है जिसका अर्थ है ज्ञान इस संस्कृति के निर्माता आर्य थे। आर्य भाषायी सूचक शब्द है जिसका अर्थ है श्रेष्ठ। इस संस्कृति का ज्ञान सुनकर प्राप्त किया गया है इसलिए वैदिक साहित्य को श्रुति कहा जाता है।

आर्यों का मूल निवास स्थान:-आर्यों के मूल निवास स्थान को लेकर इतिहासकारों में मतभेद् हैं प्रमुख इतिहासकारों के मत निम्नलिखित है-
1. भारत:- भगवान दास भिड़वानी ने हाल ही में लिखित अपनी पुस्तक ष्त्मजनतद व तहंदेष्  में आर्यों को भारत का मूल निवासी बताया है लेकिन इसे अभी तक सिद्ध नहीं किया जा सका है।
2. सप्त सैंधव प्रदेश:- इस मत के प्रवर्तक डा0 अभिनाश चन्द्र एवं डा0 सम्पूर्णानन्द है। ऋग्वेद में सप्तसैंन्धव का बहुत उल्लेख आया है। इस ग्रन्थ में इस क्षेत्र को देवकृत योनि कहा गया है। ऋग्वेद में देवासुर संग्राम का वर्णन है जिसके अनुसार पराजित होने के बाद असुर पश्चिम में (ईरान) चले गये। ईरानी ग्रन्थ जिन्द अवेस्ता में जिस अहुल मजदा नामक देवता का उल्लेख है उसे असुरों का देवता माना गया है।

3. बहमर्षि देश:- पं0 गंगा नाथ झा के अनुसार आर्यों का मूल निवास स्थान ब्रम्हार्षि प्रदेश था।
4. कश्मीर अथवा हिमालय प्रदेश:- डा0 एल0डी0 कल्ला।
5. तिब्बत:- (स्वामी दयानन्द सरस्वती एवं पार्टी जल) स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में तिब्बत को आर्यों का मूल निवास स्थान बताया।
6. उत्तरी ध्रुव:- (बाल गंगाधर तिलक):- तिलक ने अपनी पुस्तक द आर्कटिक होम आॅफ द आर्यन्स में उत्तरी ध्रुव या आर्कटिक क्षेत्र को आर्यों का मूल निवास स्थान बताया है।
7. दक्षिण रूस:-गार्डन चाइल्ड एवं नेहरिंग के अनुसार।
8. यूरोप में:- हंगरी अथवा डेन्यूब नदी घाटी। (पी गाइल्स द्वारा)
9. जर्मन प्रदेश:- हर्ट एवं पेन्का।
10. मध्य एशिया एवं बैक्ट्रिया:- (जर्मन विद्वान मैक्समूलर)- ईरानी ग्रन्थ जिंन्द अवेस्ता एवं ऋग्वेद में कई भाषाई समानतायें हैं।
उदाहरणार्थ-ऋग्वेद का इन्द्र, अवेस्ता का इन्द्र, ऋग्वेद का वायु, अवेस्ता का वायु, ऋग्वेद का मित्र, अवेस्ता का मित्र इसी तरह कुत्ता, घोड़ा आदि पशुओं के नाम और भूर्ज, देवदारु, मैविल आदि वृक्षों के नाम सभी हिन्द यूरोपीय भाषाओं में समान पाये जाते हैं। इस भाषाई समानता के आधार पर मैक्स मूलर ने सिद्ध कर दिया है कि आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया में बैक्ट्रिया (अफगानिस्तान) अथवा आल्पस पर्वत के पूर्वी क्षेत्र में यूरेशिया में था। यही मत सम्प्रति सर्वमान्य है।
बेगज कोई का अभिलेख (1400 ई0पू0)
बोगई कोई अभिलेख एशिया माइनर (पश्चिम एशिया) से प्राप्त हुआ है (आधुनिक टर्की) इस अभिलेख में निम्नलिखित ऋग्वैदिक देवताओं का उल्लेख है।
1. इन्द्र 2. वरुण 3. मित्र 4. नासत्य
इस अभिलेख के अध्ययन से पता चलता है कि ऋग्वेद का दूसरा प्रमुख देवता अग्नि का इसमें उल्लेख नही है तथा इसके नासत्य देवता की पहचान ऋग्वेद के अश्विन देवता से की जाती है।
वैदिक काल विभाजन
वैदिक संस्कृति को ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक एवं उत्तर वैदिक में विभाजित किया जाता है। ऋग्वैदिक काल 1500 ई0पू0 से 1000 ई0पू0 के बीच एवं उत्तर वैदिक काल 1000 ई0पू0 से 600 ई0पू0 माना जाता है।
वैदिक संस्कृति
&nb
sp;       ऋग्वैदिक या                                      उत्तर वैदिक संस्कृति
पूर्व  वैदिक संस्कृति                               1000ई0पू0 -600ई0पू0
1500ई0पू0 -1000ई0पू0                               लौह काल
नोटः- प्राक् लौह काल 1000ई0पू0 (लोहे का ज्ञान उ0प्र0 के एटा जिले अंतरजीखेड़ा में।

Share

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *