मुहम्मद इकबाल:-आधुनिक भारत में माहनतम कवितयों में एक, मुहम्मद इकबाल (1876-1938) ने भी अपनी कविता द्वारा नौजवान मुसलमानों तथा हिदंुओं के दार्शनिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण पर गहरा प्रीााव डाला। स्वामी विवेकनांदन की तरह उन्होने निरंतर परिवर्तन तथा अबाध कर्म पर बल दिया और विराग, ध्यान तथा एकांतवास की निंदा की। उन्होंने एक गतिमान दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया जो दुनिया को बदलने में सहायक हों। वे मूलतः मानवतावादी थे। वास्तव में उन्होंने मानव कर्म को प्रमुख धर्म की स्थिति तक पहुचा दिया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को प्रकृति या सत्ताधीशों के अधीन नहीं होना चाहिए बल्कि निरंतर कर्म द्वारा इस विश्व को नियंत्रित करना चाहिए। उनके विचार में स्थिति को निष्क्रिय के रूप से स्वीकार करने से बड़ा पाप कोई नहीं है। कर्मकांड, वैराग तथा दूसरी दुनिया में विश्वास की प्रकृति की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य को इसी जीती-जागती दुनिया में सुख प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। अपनी आरंभिक कविता में उन्होंने देशभक्ति के गीत गाए हैं हालांकि बाद में उन्होंने मुस्लिम अलगाववाद का समर्थन किया
Job Information
General Studies
About The Website
This is not official website of Uttar Pradesh Subordinate Services Selection Commission (UPSSSC) For official Website visit here>>> upsssc.gov.in . For information visit about us.
Menu
Copyright © 2019-20 upsssc.com