पृथ्वी देशांतर अपसौर उपसौर क्षुद्र ग्रह

पृथ्वी (Earth)

पृथ्वी आकार में सौरमंडल का 5वाँ सबसे बड़ा ग्रह है जबकि सूर्य से दूरी के अनुसार इसका क्रम तीसरा है। पृथ्वी का भूमध्यरेखीय व्यास 12,755 किमी. है। पृथ्वी की भूमध्यरेखीय परिधि 40,076 किमी0 है। पृथ्वी का  ध्रुवीय व्यास 12,712 किमी है। पृथ्वी का ध्रुवीय परिधि 40,008 किमी. है।

  •  पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहते हैं क्योंकि अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी की जलीय स्थिति के कारण पृथ्वी का रंग नीला दिखाई देता है। इसके वायुमण्डल में 78% नाइट्रोजन तथा 21% आॅक्सीजन पाई जाती है। इसका एक मात्र उपग्रह चन्द्रमा है। पृथ्वी की कक्षा अण्डाकार है।
  •   पृथ्वी से 4 बड़े अवरोही क्रम के ग्रह है-बृहस्पति, शनि, अरूण वरूण। पृथ्वी से 4 छोटे अवरोही क्रम के ग्रह है-शुक्र, मंगल, बुध, यम।
  •   पृथ्वी की आकृति लघ्वक्ष गोलाभ( Oblate Sheorid) है।

  पृथ्वी का अक्ष (Axis)

उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा को पृथ्वी का अक्ष कहते हैं।

  •   पृथ्वी का अक्षीय झुकाव 23.5अंश है। पृथ्वी का कक्षीय झुकाव 66.5 अंश है।

ध्रुव(Pole)-  पृथ्वी के अक्ष (काल्पनिक रेखा) के दोनों सिरों को ध्रुव कहा जाता है।

अक्षांश(Latitude)-  किसी स्थान या बिंदु का विषुवत रेखा से उत्तर या दक्षिण की कोणीय दूरी अक्षांश कहलाती है, जो पृथ्वी के केन्द्र से मापी जाती है।

  •   कुछ प्रमुख अक्षांश रेखाएं इस प्रकार हैं-
  1.  विषुवत रेखा (0अंश अक्षांश रेखा)-पृथ्वी को बीचों बीच विभाजित करने वाली रेखा जहाँ सूर्य की किरणें वर्ष भर लंबवत् चमकती है।
  2. कर्क रेखा(Cancear)- .23 .5अंश उत्तरी अक्षांश रेखा को कर्क रेखा कहा जाता है।
  3.   मकर रेखा(Capcricorn)- 23.5अंश दक्षिणी अक्षांश  रेखा को मकर रेखा कहा जाता है।
  4.  आर्कटिक रेखा 66 .5अंश उत्तरी अंक्षाश रेखा।
  5.  अंटार्कटिक रेखा-66 .5अंश दक्षिणी  रेखा।

 अक्षांश रेखा की विशेषताएं-

  •  अक्षांश रेखाएं वृत्ताकार होती है। अक्षांश रेखाएँ पूरब से पश्चिम की ओर खींची जाती है। अक्षांश रेखाओं की लंबाई असमान होती है।
  •   विषुवत रेखा से धु्रवों की ओर बढ़ने पर अक्षांश रेखाओं की लंबाई में कमी की प्रवृत्ति पाई जाती है। अक्षांश रेखाएं समानांतर होती है। कुल 180 अक्षांश रेखाएं होती है।
  •  अक्षांश रेखाओं का महत्व किसी स्थान की स्थिति निर्धारित करने में होती है। 0अंश अक्षांश रेखा सबसे बड़ी अक्षांश रेखा होती है। इसे बृहद वृत्त कहते है। अक्षांश को अंश, मिनट, सेकेंड में मापा जाता है। अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी 111.13 किमी. होती है।

 देशांतर (Longitude).

किसी स्थान की केंद्रीय मध्यान रेखा से पूर्व या पश्चिम की कोणीय दूरी उस स्थान का देशांतर है। इसकी माप भी पृथ्वी के केंद्र से की जाती है।

केंद्रीय मध्यान रेखा-0अंश देशांतर रेखा को जो ग्लोब पर लंदन के समीप ग्रीनविच वेधशाला से गुजरती है तथा पृथ्वी को बीचों-बीच पूर्वी और पश्चिमी दो गोलाद्धों में विभाजित करती है, केंद्रीय मध्यान रेखा कहते हैं।

 देशांतर रेखा की विशेषताएं-
  •  सभी देशांतर रेखाओं की लंबाई समान होती है। सभी देशांतर रेखाएं धु्रवों पर मिलती हैं। देशांतर रेखाएं अर्धवृत्ताकार होती है। कुल 360 देशांतर रेखाएं होती है।
  •  देशांतर रेखाओं के बीच की दूरी 111.3 किमी. होती है। दो देशांतरों के मध्य का क्षेत्र गोरे(Gore)कहलाता है।
  •   विषुवत रेखा पर दो देशांतरों के मध्य सर्वाधिक दूरी सर्वाधिक भूमध्यरेखा पर होती है। देशांतर रेखाओं का महत्व समय निर्धारण में होती है। 1अंश देशांतर = 4 मिनट होता है।

घूर्णन/परिभ्रमण(Rotation)-पृथ्वी का अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व दिशा में घूमना ही घूर्णन कहलाता है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 घंटे 56 मिनट तथा 4 सेकेंड में एक बार घूम जाती है। पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण दिन-रात की घटनाएं घटित होती है।

परिक्रमण(Revolution)- पृथ्वी का अपने अंडाकार पथ पर सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाना ही पृथ्वी की परिक्रमण गति कहलाती है। पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365.6 (365 दिन 5 घंटा, 45 मिनट, 48 सेकेण्ड) दिन में पूरा करती है। परिक्रमण गति के कारण ऋतु परिवर्तन होते हैं।

अयन रेखा- कर्क रेखा एवं मकर रेखा को अयन रेखा कहते हैं।

 विषुव(Equniox)- 21 मार्च और 23 सितम्बर को सूर्य की स्थिति विषुवत रेखा पर लंबवत होती है, फलतः दोनों गोलाद्धों में दिन-रात की अवधि समान होती है। सूर्य की यह स्थिति विषुव कहलाती है। 21 मार्च को बसंत विषुव तथा 23 सितम्बर को शरद विषुव कहते हैं।

संक्राति/अयंनात(Solstice)- 21 जून और 22 दिसंबर को सूर्य की क्रमशः कर्क और मकर रेखा पर लंबवत स्थिति को संक्राति या अयंनात कहते हैं। 21 जून को ग्रीष्म संक्रान्ति कहा जाता है। जबकि 22 दिसम्बर को शीत संक्राति कहते हैं।

अपसौर (Aphilon)

अपसौर को सूर्योच्च या रविउच्च भी कहा जाता है। जब पृथ्वी अपने अंडाकार पथ पर सूर्य की परिक्रमा के दौरान सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है तो इस घटना को अपसौर/सूर्योच्च/रविउच्च कहा जाता है। अपसौर के दौरान सूर्य और पृथ्वी के मध्य 15.2 करोड़ किमी. की दूरी होती है। अपसौर की घटना 4 जुलाई को घटित होती है।

उपसौर (Perihelion)

3 जनवरी को जब पृथ्वी अपने अंडाकार पथ पर सूर्य की परिक्रमा के दौरान सूर्य के निकटतम् दूरी पर होती है तो इस खगोलीय परिघटना को उपसौर कहा जाता है। उपसौर के दौरान पृथ्वी और सूर्य के मध्य की दूरी 14.7 करोड़ किमी. होती है।

स्थानीय समय(Local Time) सूर्य की स्थिति से किसी स्थान का परिकल्पित समय ही स्थानीय समय कहलाता है। अर्थात जब किसी स्थान पर दोपहर के समय सूर्य सर्वाधिक ऊँचाई पर होता है तो वहाँ मान लिया जाता है कि उस स्थान पर दोपहर के 12 बजे हैं।

मानक समय/प्रमाणिक समय(Standerd Time)-  किसी स्थान, देश या क्षेत्र के केंद्रीय देशांतर रेखा के आधार पर गणना किया जाने वाला समय उनका मानक समय या प्रमाणिक समय कहलाता है।

  •   भारत में 82 1/2अंश केन्द्रीय देशांतर रेखा के आधार पर मानक समय की गणना होती है जो इलाहाबाद के पास से गुजरती है।

अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा

प्रोफेसर डेविडसन ने विश्व के समय समायोजन के लिए अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा का निर्धारण किया। 1800 देशांतर रेखा को, जो ग्लोब पर द्वीपों को छोड़ते हुए खींची गई है, यह 9 बर मुड़ी है, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहा जाता है। इस रेखा को पूरब से पश्चिम पार करते समय एक दिन जोड़ लिया जाता है तथा पश्चिम से पूर्व पार करते समय एक दिन घटा लिया जाता है।

 सिजगी(Syzygv) सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी की एक रेखीय स्थिति को सिजगी कहते हैं। सिजगी की अवस्था में दो परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं-

  1.  युति(Conguction)- जब सूर्य और पृथ्वी के मध्य चंद्रमा की स्थिति पाई जाती है तो इस घटना को युति कहा जाता है। युति की अवस्था में सूर्यग्रहण जैसी परिघटना होती है। यह परिघटना अमावस्या को होती है।
  2.  व्युति(Opposition)- जब सूर्य और चन्द्रमा के बीच पृथ्वी की स्थिति होती है तो उस घटना को व्युति कहते हैं इस घटना के दौरान चंद्रग्रहण जैसी परिघटना घटित होती है। चंद्रग्रहण की स्थिति पूर्णिमा को संभव होती है।

 चन्द्रमा

  •  चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह है। चन्द्रमा के वैज्ञानिक अध्ययन को सेलिनोग्राफी(Selenography) कहते हैं। पृथ्वी से चंद्रमा की औसत दूरी, 3,84,000 किमी. है।
  •   चन्द्रमा का प्रकाश पृथ्वी तक सवा सेंकेण्ड में पहुंच पाता है। चन्द्रमा पर Sea of Tranquility पाए जाते हैं। ये चंद्रमा के वे अदृश्य भाग होते हैं जो पृथ्वी से दिखाई नहीं देते।
  •   चन्द्रमा की गुरूत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी से 1/6 होती है। चन्द्रमा को जीवाश्म ग्रह (Fossils Planet) कहते हैं। चन्द्रमा पर वायुमण्डल का अभाव है।
  •   चन्द्रमा का व्यास पृथ्वी के व्यास का एक चैथाई है। चन्द्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा 27 दिन और आठ घंटे में पूरी करता है। चन्द्रमा का घूर्णन समय भी यही है।
  •   चन्द्रमा का सर्वोच्च पर्वत शिखर ’’लीबिनिट्ज’’ पर्वत है जो कि चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है। 21 जुलाई 1969 को अमेरिकन अंतरिक्षयात्री नील आर्मस्ट्राँग ने चन्द्रमा पर कदम रखा था। चन्द्रमा पर कोपरनिकस, केपलर, प्लूटो, क्लेवियस आदि कई क्रेटर पाये जाते हैं।
  •  मंगल (Mars)
    मंगल ग्रह को लाल ग्रह( Red Planet) कहा जाता है क्योंकि इस पर लाल बंजर भूमि पाई जाती है। मंगल का अक्षीय झुकाव पृथ्वी सदृश है। मंगल का सर्वोच्च शिखर निक्स ओलंपिया है।
  •  मंगल के दो प्रमुख उपग्रह-फोबोस तथा डिमोस है। यहाँ का वायुमण्डल अत्यन्त बिरल है जिसमें कार्बन डाई अक्साइड पायी जाती है एवं कुछ मात्रा में जलवाष्प, अमोनिया एवं मिथेन भी है। इसका व्यास करीब 16,70 किमी. है।
  •   यहाँ पृथ्वी के समान दो ध्रुव है तथा पृथ्वी के समान ऋतु परिवर्तन होता है। इसे पृथ्वी का छोटा भाई कहते हैं।

 क्षुद्र ग्रह (Astorid)

मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच पाए जाने वाले उन लघु ग्रहों को जो भ्रमणशील होते हैं, लघु/क्षुद्र/अवांतर ग्रह कहा जाता है।

  •   प्रमुख क्षुद्र ग्रह है-सिरस, पलास, जूनों तथा वेस्टा । सिरस की खोज इटली के पियाजी नामक खगोलशास्त्री ने की थी। ये सभी आवंतर ग्रह अन्य ग्रहों की भांति सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
    बृहस्पति (Jupiter)
  • बृहस्पति आकार में सबसे बड़ा ग्रहा है। Master of Gods कहा जाता है। बृहस्पति के सर्वाधिक उपग्रह पाए जाते (63) हैं-जिनमें गैनमिड सबसे बडा है।
  •   बृहस्पति का भूमध्यरेखीय व्यास पृथ्वी से अधिक (11 गुना) होता है। इसका व्यास 1,42,800 किमी. है। सूर्य से औसत दूरी 77.83 मिलियन किमी. है। यह सूर्य की परिक्रमा 11.9 वर्ष में पूरा करता है। अपने अक्षपर 9 घंटे 55 मिनट में एकबार घूम जाता है।
  •  इसका द्रव्यमान पृथ्वी की अपेक्षा 3/8 गुना अधिक है। इसका द्रव्यमान सौरमण्डल के सभी ग्रहों का 71ः एवं आयतन डेढ़ गुना है। इसके वायुमंडल में हाइड्रोजन, हीलियम, मिथेन तथा अमोनिया आदि गैसें हैं
  •  इसका आन्तरिक तापमान 25000 सेल्सियस है।
  •  इसका घनत्व 1.3 ग्राम प्रति घन सेमी. है।
  •   इसकी सतह का तापमान-1800 सेल्सियस है।
  •  अन्य उपग्रहों में आशा, यूरोपा, कैलिसटो, अलमथिया आदि है।
  •  बृहस्पति पर लाल रंग के तूफान ग्रेट रेड स्पाॅट पाये जाते हैं।

 शनि (Saturn)

  •  शनि ग्रह को बृहस्पति का पिता (Father of Jupiter) तथा रोमन कृषि का भगवान (Roman of Agriculture) ;त्वउंद ळवक व ि।हतपबनसजनतमद्ध कहा जाता है।
  •   शनि सूर्य से दूरी के अनुसार छठे नम्बर का ग्रह है।
  •   इसका व्यास 1,20,000 किमी. है। यह सूर्य से 142.7 करोड़ किमी. दूर है। यह सूर्य की परिक्रमा 29.5 वर्ष में पूरा करता है। इसका द्रव्यमान 5.6 * 10 26 किग्रा है।
  •   इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है। जो बुध के बराबर है। अन्य उपग्रहों में मीमास, एनसीलाड, टेथिस, डीआँन, रीया, हाईपोरियन, इयोपट्स और फोबे उल्लेखनीय है। शनि सूर्य के प्रकाश का 1/100वाँ भाग प्राप्त करता है।
  •   शनि ग्रह के चारों ओर वलय पाये जाते हैं। शनि तीव्र घूर्णन के कारण सौरमण्डल का सर्वाधिक चपटा ग्रह है।

अरूण(Uranus)

  • अरूण की खोज विलियम हर्सेल महोदय ने की थी। यूरेनस/अरूण ग्रह का रंग हरा होता है क्योंकि इसके वायुमण्डल में मिथेन की अधिकता है। इस ग्रह का नामकरण ग्रीक देवता यूरेनस के आधार पर किया गया है।
  •   सूर्य से इसकी दूरी 287.50 करोड़ कि.मी. है और व्यास 52,096 किमी. है। अरूण सूर्य की परिक्रमा 84 वर्ष में पूरा करता है।
  •   इसके 27 उपग्रह है-एरियल, एम्ब्रियल, टिटनिया, ओबेराॅन मिराण्डा आदि।
  •   इसका सबसे बड़ा उपग्रह है-टिटानिया।
  • इसका सबसे छोटा उपग्रह है-कार्डीलिया।
  •  अरूण को लेटा हुआ ग्रह भी कहा जाता है।
  •   शुक्र की भाॅति यह भी पूर्व पश्चिम सूर्य का चक्कर लगाता है।

 वरूण(Neptune)

  •   यह दूरी के अनुसार सौरमंडल का आठवां ग्रह है। 1999 ई0 तक यह सौरमंडल का सबसे दूरस्थ ग्रह रहा। इसकी खोज 1846 ई0 में जर्मन खगोलशास्त्री जोहानगाले ने की।
  •  इसका व्यास 49,500 किमी. है। यह सूर्य की परिक्रमा 164 वर्षों में पूरा करता है। यह अपनी धुरी पर 16 घंटे में पूरा चक्कर लगाता है।
  •   इसका रंग हल्का-पीला दिखाई पड़ता है।
  •   इसका प्रमुख उपग्रह ट्रिटान है जो आकार में पृथ्वी के चन्द्रमा से बड़ा और वरूण की सतह से अधिक निकट है।
  •   इसका सबसे छोटा उपग्रह है-नयाद

धूमकेतु/पुच्छल तारा(Comets)

  •  आकाशीय गैस, धूलकण तथा हिमानी पिण्ड जो परिक्रमण के दौरान सूर्य के समीप होते हैं तो सूर्य के गुरूत्वाकर्षण शक्ति के कारण उनसे गैसों की एक फुहार निकलती है इसका शीर्ष अत्यधिक चमकीला होता है जिसे कोमा (Coma) कहते हैं।
  •  हेली पुच्छल तारा प्रत्येक 76 वर्ष के उपरांत दिखाई देता है।

उल्का तथा उल्काश्म (Meteors /Shooting Stars)

  •  अंतरिक्ष में मौजूद छोटे-छोटे आकाशीय पिण्ड जो अपनी भ्रमणशीलता के दौरान पृथ्वी के समीप पहुंचते हैं तथा पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण शक्ति के कारण पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो वे वायुमंडलीय घर्षण से जल उठते हैं। जो आकाशीय पिण्ड पूर्ण रूप से वायुमंडल में जल का राख हो जाते हैं उन्हें उल्का कहा जाता है पर वैसे आकाशीय पिंड जो जलते हुए अर्धजले रूप में पृथ्वी के धरातल पर गिरते हैं उन्हें अर्धजले रूप में पृथ्वी के धरातल पर गिरते हैं उन्हें उल्काश्म कहा जाता है।
  •   उल्का एवं उल्काश्म के अध्ययन के आधार पर यह प्रमाणित हुआ है कि लोहे और निकेल की मात्रा उसमें सर्वाधिक रही।
  •  उल्का एवं उल्काश्म की सर्वाधिक उपलब्धि प्रशांत महासागर में होती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *