केन्द्रीय बजट 2015-16
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 के लिए केन्द्रीय बजट 28 फरवरी 2015 को वित्तमंत्री अरूण जेटली द्वारा प्रस्तुत किया गया।
नये बजट में कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं को चुनौती के रूप में अथवा प्रमुख समस्या के रूप में प्रस्तुत किया गया। जिसमें भारतीय कृषि जी0डी0पी0 में विनिर्माण के क्षेत्र के हिस्से में आने वाली कमी अधो संरचना में निवेश की मात्रा में वृद्धि वित्त आयोग की नयी व्यवस्था से केन्द्र सरकार के राजकोषीय कमी की समस्या और राजकोषीय कमी के कारण उत्पन्न राजकोषीय अनुशासन को बनाये रखने की समस्या।
नये बजट में राजकोषीय घाटा वर्ष 2015-16 के लिये 3.9 प्रतिशत, 2016-17 के लिये 3.5 प्रतिशत, 2017-18 में 3 प्रतिशत निर्धारित की गयी और इस प्रकार लेकिन यह स्पष्ट है कि लक्षित राजकोषीय घाटा जिसे 3 प्रतिशत करने का लक्ष्य था, 2015-16 में प्राप्त नहीं हुआ।
वर्ष 2015-16 के दौरान आर्थिक वृद्धि 8-8.50 प्रतिशत रहने की सम्भावना व्यक्त की गयी है। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए आर्गेनिक फार्मिक स्कीम पर महत्व दिया गया। सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं को महत्वपूर्ण मानते हुए इस पर 5 हजार 300 करोड़ रूपये आवंटित किये गये। जबकि मनरेगाा के लिए 34,699 करोड़ रूपये आवंटित किये गये। अधो संरचना के विकास के लिए सड़कों के सम्बन्ध में 14031 करोड़ रूपये तथा जबकि रेलवे के लिए 1050 करोड़ रूपये आवंटित किये गये।
संसाधनों को जुटाने के लिए राष्ट्रीय निदेश एवं अधो संरचना कोष को स्थापित करने की बात की गयी। जिससे 20 हजार करोड़ रू0 वार्षिक प्राप्त किया जा सके।
श्र।ड ट्रिनिटी का उल्लेख नये बजट में किया गया। जिसमें जन धन जमा आधार तथा मोबाइल को शामिल किया गया जो बिना नगद लेन-देन के लाभ को हस्तांनरित करने की योजना है।
जन सुरक्षा योजना सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रयास तो दर्शाता है इसके अन्तर्गत प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना को लागू किया गया जिसका वार्षिक प्रीमियम 12 रू0 है और मृत्यु हो जाने की स्थिति में 2 लाख रू0 प्राप्त होगा। जबकि दुर्घटना बीमा 30 हजार रू0 रखा गया है।
अटल पेंशन योजना के अन्तर्गत सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए पेंशन देने का प्रयास किया गया है और इसके अन्तर्गत 31 दिसम्बर 2015 से पहले खोले जाने वाले खातों पर 5 वर्ष तक जमा प्रीमियम का 50 प्रतिशत जो अधिक से अधिक 1000 रू0 वार्षिक होगा सरकार अंशदान देगी।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना आकस्मिक एवं स्वाभाविक दोनों ही मृत्यु के सम्बन्ध में 2 लाख रू0 बीमा सुरक्षा देने का कार्यक्रम है जिसमें 1 रू0 प्रतिदिन के हिसाब से अथवा 330 रू0 वार्षिक अंशदान देना होगा। इस योजना के लिए 18-50 वर्ष के लोग पात्र होगें। उपरोक्त तीनों योजनायें 9 मई 2015 को प्रधानमंत्री द्वारा कलकत्ता में घोषित की गयी।
SETU योजना का तात्पर्य स्वरोजगार और कौशल के उपयोग से है। इस योजना में नीति आयोग के द्वारा 1 हजार करोड़ रू0 व्यय करके रोजगार को प्रेरित करने तथा व्यापार को प्रोत्साहित करने सम्बन्धी क्रियाओं में मदद करने का आश्वाशन दिया गया है।
वरिष्ठ नागरिक कल्याण फण्ड के अन्तर्गत पी0पी0एफ0 को 3000 करोड़ रू0 व्यय का प्रावधान है। ई0पी0एफ0 का 6 हजार करोड़ रू0 मांगी गयी जमा के द्वारा फण्ड गठित किया जायेगा और इसका प्रयोग कमजोर वर्गों के लिए किया जायेगा।
नई मंजिल नाम से एक कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है जो मुख्य रूप से अल्पसंख्यक वर्ग के शिक्षा एवं आजीविका से सम्बन्धित है।
वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि फारवर्ड मार्केड कमीशन को सेबी के साथ मिला दिया जायेगा। इसके साथ गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को भी।
एक्ट ईस्ट पाॅलिशी को नये बजट में शामिल किया गया है इसके अन्तर्गत कम्बोडिया, वियतनाम, म्यांमार इत्यादि में भारतीय निजी क्षेत्र की कम्पनियों के निवेश को बढ़ाया जायेगा।
वर्ष 2015-16 के दौरान राजस्व घाटा G.D.P का 2.8 प्रतिशत पाया गया।
राष्ट्रीय कौशल मिशन का क्रियान्वयन कौशल विकास और उद्यम मंत्रालय द्वारा किया जायेगा। जी0एस0टी0 के सम्बन्ध में संविधान में 122वां संशोधन किया गया है और इसके अगले सत्र में पास होने की उम्मीद है।
नये बजट में व्यक्तिगत आयकर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है परन्तु सेवा कर की दर को 12.36 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया है।
सरकार द्वारा 1 करोड़ से अधिक कर योग्य आय पर 2 प्रतिशत का अतिरिक्त उपकर लगाया है। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क जो 12.36 प्रतिशत था उसे 12.5 प्रतिशत कर दिया गया।
नये बजट के तहत कालाधन की समस्या के समाधान के लिए कुछ परिवर्तन किये गये हैं जिसमें आय तथा सम्पत्तियों को छिपाकर अथवा कर चोरी के लिये 10 वर्ष की कारावास की सजा निर्धारित की गयी है और 300 गुना भुगतान रिटर्न न जमा करने पर 7 साल के कारावास का प्रावधान है।
वर्ष 2015-16 के बजट में GAAR को 2 वर्ष के लिए टाल दिया गया है जिससे भारत में निवेश का प्रवाह बना रहे। भारत में 2015-16 के बजट में 59,500 करोड़ रू0 का विनिवेश का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
टेलीकाम स्पेक्ट्रम नीलामी के जरिये 2014-15 में 45,471 करोड़ रू0 प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। भारत सरकार की आय में सर्वाधिक योगदान निगम कर का रहा है। दूसरे स्थान पर आयकर फिर संघीय उत्पाद कर सेवा कर और सीमा शुल्क का है।
भारत के गैर योजनागत व्यय में सर्वाधिक व्यय व्याज भुगतान पर किया गया है जो 4,56,245 करोड़ था। दूसरा गैर महत्वपूर्ण योजनागत व्यय रक्षा क्षेत्र पर होने वाला व्यय था जो 2 करोड़ 46 लाख 727 करोड़ था। तीसरे स्थान पर सरकार द्वारा दिये जाने वाले अनुदान थे जो 2,42,811 करोड़ रू0 था।
14वां वित्त आयोग 2 जनवरी 2013 को वाई0वी0रेड्डी की अध्यक्षता में गठित हुआ। 14वां वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है। यह 2015-20 के बीच में लागू रहेगी।
वित्त आयोग के अनुसार विभाजन करों के राज्यों को 42 प्रतिशत स्थानान्तरित किया जायेगा। 13वें वित्त आयोग में यह 32 प्रतिशत, 12वें 30.5 प्रतिशत, 11वें में 29.5 प्रतिशत।
14वें वित्त आयोग में सबसे महत्वपूर्ण कसौटी आय दूरी को माना गया है और इसे 50 भारांक दिया गया है जबकि 13वें वित्त आयोग में सबसे महत्वपूर्ण कसौटी राजकोषीय क्षमता का जिसे 47.5 प्रतिशत का भारांक दिया गया है।
यदि वित्त आयोग द्वारा विभिन्न राज्यों की हिस्से की बात करें तो वित्तीय स्थानांतरण का सबसे अधिक लाभ उत्तर प्रदेश को लाभ हुआ जो 17.9 प्रतिशत है। दूसरे स्थान पर बिहार है जिसे 9.6 प्रतिशत, तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश है जिसे 7.5 प्रतिशत प्राप्त हुआ है। जबकि चैथे पर पश्चिम बंगाल को 7.3 प्रतिशत प्राप्त हुआ है।
भारत में सेवा कर का विभाजन पूर्ण नहीं है क्योंकि यह जम्मू कश्मीर में नहीं लगाया जाता है। अतः इसका बंटवारा जम्मू कश्मीर को छोड़कर शेष सभी राज्यों में किया जाता है।
प्रोफेसनल सेवा के अन्तर्गत 11वें वित्त आयोग में 2500 रू0 तक की सीमा निर्धारित की गयी है परन्तु 11वें वित्त आयोग ने इस सीमा को बढ़ाकर 12000 रू0 प्रतिवर्ष करने की संस्तुति की है।
राजकोषीय घाटे की ऊपरी सीमा 3 प्रतिशत निर्धारित की गयी है और यह 2016-17 से 2020 तक बनी रहेगी।
वित्त आयोग का मानना है कि राजस्व घाटा 2019-20 से पहले ही समाप्त हो जायेगा। केन्द्र सरकार का ऋण जो ळक्च् का 43.6 प्रतिशत है वर्ष 2019-20 तक घटकर 36.3 प्रतिशत हो जायेगा।
14वें वित्त आयोग ने न केवल राज्यों को अधिक मात्रा में वित्तीय सहायता हस्तांतरित किया है अपितु राजस्व घाटे का अनुमान लगाते समय योजनागत राजस्व व्यय को ध्यान में रखा है।
1 जनवरी 2015 को योजना आयोग का नवीन नामकरण किया गया इसे छप्ज्प् नीति आयोग नाम दिया गया। नीति आयोग ने योजना आयोग का स्थान लिया। इसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होगा।