इन पदार्थों के साथ-साथ इनका सेवन न करें (विरुद्धाहार)

अपथ्य या अहितकारी

कुछ ऐसे भोजन में पदार्थ होते है जिन पदार्थों के साथ-साथ सेवन से रोग उत्पन्न होने की सम्भावना होती है अतः इनसे बचना चाहिए। आयुर्वेदानुसार जिस प्रकार पथ्य या हितकारी आहार के सेवन से स्वास्थ्य की रक्षा होती है, और दोष अपनी सम अवस्था में बने रहते हैं, उसी प्रकार अपथ्य या अहितकारी आहार के सेवन से स्वास्थ्य का नाश और दोषों का प्रकोप होता है।

यह आहार भी अनेक प्रकार का हो सकता है। कुछ खाद्य-पदार्थ तो प्रकृति से (स्वभावतः) ही दोषों का प्रकोप करने वाले, रोगकारक, भारी आदि होने से अपथ्य होते हैं, परन्तु कुछ प्राकृतिक रूप से और अकेले तो बहुत गुणकारी और स्वास्थ्य-वर्धक होते हैं, लेकिन जब इन्हीं पदार्थों को किसी अन्य खाद्य-पदार्थ के साथ लिया जाए अथवा किसी विशेष समय या ऋतु में या किसी विशेष वस्तु में पका कर सेवन किया जाए, तो ये लाभ के स्थान पर हानि पहँचाते हैं और अनेक प्रकार के रोगों का कारण बनते हैं; ये विरुद्धाहार कहलाते हैं; क्योंकि ये रस, रक्त आदि धातुओं को दूषित करते हैं, दोषों को प्रकुपित करते हैं तथा मलों को शरीर से बाहर नहीं निकालते।

अनेक बार कुछ गम्भीर रोगों की उत्पत्ति का कोई साफ कारण दिखाई नहीं देता, वस्तुतः उनका कारण विरुद्धाहार होता है; क्योंकि आयुर्वेद में कहा है कि इस प्रकार के विरुद्धाहार का निरन्तर सेवन करते रहने से ये शरीर पर धीरे-धीरे दुष्प्रभाव डालते हैं और धातुओं को दूषित करते रहते हैं। अतः विरुद्धाहार नाना रोगों का कारण बनता है।

विरुद्धाहार अनेक प्रकार के होते हैं,

  • दूध के साथ– दही, नमक, मूली, मूली के पत्ते, अन्य कच्चे सलाद, सहिजन, इमली, खरबूजा, बेलफल, नारियल, आम्रातक (आमड़ा), नींबू, लिकुच (बड़हल), करौंदा, कमरख, जामुन, कैथ, पारावत (अम्ल फल), अनार, आँवला, गलगल तोरई, गुड़, तिलकुट, कुलथी, उड़द, मोठ, निष्पाव, कंगु, वनक, सत्तू, तेल तथा अन्य प्रकार के खट्टे फल या खटाई, मछली आदि का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकर है।
  • दही के साथ– खीर, दूध, पनीर, गर्म पदार्थ, व गर्म भोजन, खीरा, खरबूजा, ताड़ फल आदि का सेवन विरुद्धाहार है।
  • खीर के साथ- कटहल, खटाई (दही, नींबू, आदि), सत्तू, शराब आदि का सेवन विरुद्धाहार है।
  • शहद के साथ– मकोय (काकमाची), घी (समान मात्रा में पर का जल, तेल, वसा, अंगूर, कमल का बीज, मूली, ज्यादा गर्म दध या अन्य गर्म पदार्थ, कुसुम्भ का साग, शार्कर (शर्करा से बना शरबत) और मैरेय (खजूर से बनी मदिरा), आदि का सेवन विरुद्ध गर्म करके सेवन करना निषिद्ध है।
  • शीतल जल के साथ– घी, तेल, तरबूज, अमरूद, खीरा, खीरा, ककड़ी, मूंगफली,  चिलगोजा आदि का सेवन विरुद्धाहार है।
  • गर्म जल या गर्म पेय के साथ– शहद, कुल्फी , आइसक्रीम पदार्थ का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकर है।
  • घी के साथ-समान मात्रा में शहद तथा ठण्डे जल का सेवन लिए अहितकर है।
  • खरबूजा के साथ– लहसुन, दही, दूध, मूली के पत्ते, पानी आणि स्वास्थ्य के लिए हानिकर है।
  • रबूज के साथ– ठण्डे पानी तथा पुदीने का सेवन स्वास्थ्य के लिए हा चावल के साथ- सिरके का सेवन स्वास्थ्य के लिए अहितकर है
  • तिल की पिट्ठी के साथ– उपोदिका (पोई) को पकाकर खाना विरुद्धाहार है
  • नमक– अधिक मात्रा में खाना स्वास्थ्य के लिए अति हानिकर है।
  • अंकरित धान्य, चने आदि के साथ- कमल-नाल का सेवन विरुद्धाहार है। कच्चे अंकुरित धान्य के साथ पके हुए भोजन का सेवन भी विरुद्धाहार है।
  • मकोय के साथ- पिप्पली, काली मिर्च, गुड़ व शहद का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकर है। जिस बर्तन में मछली पकाई हो, उसमें रातभर रखे हुए मकोय शाक का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • उड़द की दाल के साथ– मूली का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकर है।
  • केला के साथ- तक्र (मट्ठा) का सेवन स्वास्थ्य के विरुद्ध है।
  • घी– काँसे के बर्तन में दस दिन या अधिक समय तक रखा हुआ घी विषाक्त हो जाता है।
  • दूध, सू रा, खिचड़ी- इन तीनों को मिलाकर नहीं खाना चाहिए क्योकि यह विरुद्धाहार होने से हानिकर है।

इस प्रकार के विरुद्ध आहार के सेवन से शरीर के धातु  और दोष असन्तुलित हो जाते हैं, परिणामस्वरूप अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। अत: इन सबका विचार करके ही खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

विरुद्धाहार से अल्प प्रभावित होने वाले व्यक्ति

प्राणायाम, योगासन व व्यायाम से रोगप्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि होती है। अतः प्रतिदिन व्यायाम करने वाले, घी, दूध आदि स्निग्ध पदार्थों का सेवन करने वाले, तीव्र पाचकाग्नि वाले बलवान् व्यक्ति तथा निरन्तर अभ्यास से जिनके लिए विरुद्धाहार सात्म्य बन गया हो, ऐसे व्यक्तियों पर विरुद्धाहार का विशेष दुष्प्रभाव नहीं होता। अल्प मात्रा में लेने से भी विरुद्धाहार का कुप्रभाव नहीं होता; यदि होता भी है तो आंशिक रूप से ही होता है।

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