Cheetah Is Back 70 साल का इंतजार खत्म हुआ

दोस्तों, इस लेख को ध्यान से पढ़े इससे आगामी परीक्षा में प्रश्न पूछे जा सकते है, समसामयिक के संदर्भ में इस लिए इस पोस्ट को किया जा रहा है, जो की आपके के लिए उपयोगी होगा।

Cheetah is back

Cheetah Is Back: कूनो पार्क का जंगल पड़ोसी जिले शिवपुरी और राजस्थान के जिले बारां से सटा हुआ है। यह जंगल राजस्थान के मुकुंदरा हिल टाइगर रिजर्व, रणथंबोर नेशनल पार्क तक कॉरिडोर भी बनाता है।

नामीबिया से स्पेशल फ्लाइट आठ चीतों को भारत लेकर आ गई है। 24 लोगों की टीम के साथ चीते ग्वालियर एयरबेस पर उतरे। यहां से चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए इन्हें कूनो नेशनल पार्क लाया गया। प्रधानमंत्री मोदी भी ग्वालियर से कूनो पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री बॉक्स खोलकर तीन चीतों को कूनो में क्वारंटीन बाड़े में छोड़ेंगे। क्वारंटीन अवधि के एक महीने तक चीते विशेष बाड़े में रहेंगे। इसके बाद बड़े बाड़े में छोड़े जाएंगे। यहां दो महीने रखे जाएंगे। इसके बाद उन्हें जंगल में खुला छोड़ा जाएगा। जंगल में खुला छोड़े जाने के बाद कई तरह से चीतों की निगरानी की जाएगी। कूनो से सटे शिवपुरी और राजस्थान के बारां जिले की सीमा पर निगरानी चौकी बनाई जाएंगी। चीतों को जंगल में छोड़े जाने के बाद इन चौकियों से निगरानी शुरू होगी।

चार घंटे में लोकेशन पर नजर रखेगी टीम

अमर उजाला को मिली जानकारी के अनुसार, कूनो पालपुर नेशनल पार्क लाए जा रहे चीते तीन से चार महीने बाद जंगल में खुले छोड़े जाएंगे। तब तक वे पार्क से बाहर न जाएं, इस पर अभी से काम शुरू हो गया है। कूनो से सटे शिवपुरी और राजस्थान के बारां जिले की सीमा पर निगरानी चौकी बनाई जाएंगी। चीतों के जंगल में छोड़े जाने के बाद इन चौकियों से निगरानी शुरू होगी। वहीं चीतों को सैटेलाइट कालर भी लगाया जा रहा है, जिससे प्रत्येक चार घंटे में उनकी लोकेशन ली जाएगी। इसके अलावा पार्क में बने विशेष बाड़े के नजदीक पांच टावर लगाए गए हैं। जिन पर हाई रिजोल्यूशन थर्मल इमेज कैमरे लगाए गए हैं। इनसे पांच वर्ग किमी क्षेत्र में दिन और रात चीतों पर नजर रखी जाएगी।

रणथंबोर नेशनल पार्क तक है कॉरिडोर

कूनो पार्क का जंगल पड़ोसी जिले शिवपुरी और राजस्थान के जिले बारां से सटा हुआ है। यह जंगल राजस्थान के मुकुंदरा हिल टाइगर रिजर्व, रणथंबोर नेशनल पार्क तक कॉरिडोर भी बनाता है। यह भी डर है कि जंगल में छोड़े जाने के बाद चीते इस कॉरिडोर पर न चल पड़ें। इसलिए शिवपुरी और बारां जिले की सीमाओं तक अस्थायी चौकी बनाकर नजर रखी जाएगी। चीता परियोजना राष्ट्रीय महत्व का विषय है। इस कारण पूरी सावधानी बरती जा रही है। वन अधिकारी बताते हैं कि पहले दिन से ही चीतों की निगरानी शुरू हो जाएगी। वैसे तो क्वारंटीन अवधि तक चीते विशेष बाड़े में रहेंगे और उसके बाद बड़े बाड़े में छोड़े जाएंगे। यहां दो महीने रखे जाएंगे। इसके बाद उन्हें जंगल में खुला छोड़ा जाएगा।

जंगल में खुला छोड़े जाने के बाद चीतों की निगरानी ट्रैकिंग दल भी करेंगे। प्रत्येक चीते के साथ एक दल चलेगा। यह डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर एंटीना लेकर चलेगा। इसकी मदद से चीते के मूवमेंट का पता चलता रहेगा। यदि आधा घंटा से ज्यादा चीता एक ही स्थान पर है और उसके शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही है, तो दल वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देगा और मौके पर पहुंचकर देखेगा। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की पुनर्स्थापना के दौरान यह तरीका अपनाया गया था।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *