केन्द्र-राज्य सम्बन्ध (संविधान)
केन्द्र-राज्य सम्बन्ध- सांविधानिक प्रावधान अनुच्छेद 246:-संसद को सातवीं अनुसूची की सूची 1 में प्रगणित विषयों पर विधि बनाने की शक्ति। अनुच्छेद 248:-अवशिष्ट शक्तियां संसद के पास अनुच्छेद 249:-राज्य सूची के […]
केन्द्र-राज्य सम्बन्ध- सांविधानिक प्रावधान अनुच्छेद 246:-संसद को सातवीं अनुसूची की सूची 1 में प्रगणित विषयों पर विधि बनाने की शक्ति। अनुच्छेद 248:-अवशिष्ट शक्तियां संसद के पास अनुच्छेद 249:-राज्य सूची के […]
भारतीय संघ व्यवस्था भारतीय संघ व्यवस्था के संविधान द्वारा क्षेत्र के आधार पर शक्तियों का जो विभाजन या केन्द्रीकरण किया जाता है उस दृष्टि से दो प्रकार की शासन व्यवस्थाएं
राज्य के नीति निदेशक तत्व [DIRECTIVE PRINCIPLES OF STATE POLICY] हमारे संविधान की एक प्रमुख विशेषता नीति निर्देशक तत्व हैं। विश्व के अन्य देशों के संविधानों में आयरलैण्ड के संविधान
राज्य के नीति निदेशक तत्व [DIRECTIVE PRINCIPLES] Read More »
मूल कर्तव्य 1950 में लागू किए गए भारतीय संविधान में नागरिकों के केवल अधिकारों का ही उल्लेख किया गया था, मूल कर्तव्यों का नहीं। लेकिन 1976 में संविधान में व्यापक
मूल अधिकार मूल अधिकारों की आवश्यकता और महत्व:-व्यक्ति और राज्य के आपसी सम्बन्धों की समस्या सदैव से ही बहुत अधिक जटिल रही है और वर्तमान समय की प्रजातन्त्रीय व्यवस्था में
भारतीय नागरिकता नागरिकता मनुष्य की उस स्थिति का नाम है, जिसमें मनुष्य को नागरिक का स्तर प्राप्त होता है और नागरिक केवल ऐसे ही व्यक्तियों को कहा जा सकता है
संविधान की अनुसूचियां भारतीय संविधान के मूल पाठ में 8 अनुसूचियां थी, लेकिन वर्तमान समय में भारतीय संविधान में 12 अनुसूचियां हैं। अग्र वर्तमान में संविधान की अनुसूचियां प्रकार है: