वर्णमाला (Alphabet)
मानक हिन्दी वर्णमाला :
व्यंजनः
विदेशों से आगत/गृहीत ध्वनियाँ
स्वर (Vowels)
स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले पर्ण स्वर कहलाते है । परंपरागरत रूप से इनकी संख्या 13 मानी गई। उच्चारण की दृष्टि से इनमें केवल 10ही है | अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ |
स्वरों का वर्गीकरण
मात्रा उच्चारण या काल के आधार पर स्वर के तीन भेद होते हैं ।
- ह्रस्व स्वर
- दीर्घ स्वर और
- प्लुत स्वर
ह्रस्व स्वर किसे कहते हैं ?
ह्रस्व स्वर वे स्वर होते हैं जिनके उच्चारण में कम से कम प्राण वायु निकलती है। यह एक मात्रिक स्वर होता है जैसे: अ, इ, उ, ऋ ।
दीर्घ स्वर किसे कहते हैं
जिन स्वरों के उच्चारण में अधिक प्राण वायु निकलती है , उसे दीर्घ स्वर कहते हैं, यह दो मात्रिक स्वर है जैसे: आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ ।
प्लुत स्वर किसे कहते हैं
जिनके उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगे उसे प्लुत स्वरकहते हैं, यह त्रिमात्रिक स्वर है इसका प्रयोग किसी को पुकारने में या नाटक के संवादों में होता है। जैसे, ओम ।
जिह्वा के आधार पर स्वर के कितने भेद होते हैं
जिह्वा के आधार पर स्वर के तीन भेद होते हैं
- अग्र स्वर
- मध्य स्वर
- पश्च स्वर
अग्र स्वर क्या है?
जिन स्वरों का उच्चारण में जिह्वा का अग्रभाग काम करता है उसे अग्र स्वर कहते हैं जैसे: ई, इ, ए, ऐ।।
मध्य स्वर क्या है?
जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्वा का मध्य भाग काम करता है उसे मध्य स्वर कहते हैं जैसे: अ ।
पश्च स्वर क्या है?
जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्वा का पश्च भाग काम करता है उसे पश्च स्वर कहते हैं जैसे: आ, ऊ, उ, ओ ,औ ।
उत्त्पति के आधार पर स्वर के कितने भेद होते है
हिंदी वर्णमाला में उत्तपति के आधार पर स्वर के २ भेद होते है।
- मूल स्वर
- संधि स्वर
मूल स्वर
जिन स्वरों की उत्पति किन्ही दूसरे स्वरों से नहीं होती है , उन्हें मूल स्वर कहते है. मूल स्वरों की संख्या ४ होती है – अ, इ, उ, ऋ
संधि स्वर
मूल स्वरों के मेल से बने हुए स्वर को संधि स्वर कहते है. जैसे आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ,औ |
संधि स्वर के २ भेद होते है
- दीर्घ स्वर
- संयुक्त स्वर
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