भारत नवाचार सूचकांक क्या है ? नवाचार सूचकांक 2020-21 रिपोर्ट।

नवाचार सूचकांक

नवाचार सूचकांक, सूचकांक नीति आयोग (National Institution for Transforming India) द्वारा ‘इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस’ (The Institute for Competitiveness) के सहयोग से जारी किया जाता है। इस सूचकांक को भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने और इन क्षेत्रों में नवाचार से संबंधित नीतियाँ तैयार करने के लिये वैश्विक नवाचार सूचकांक की तर्ज पर विकसित किया गया है।  सूचकांक में राज्यों को तीन श्रेणियों– प्रमुख राज्य (Major States), उत्तर-पूर्व एवं पहाड़ी राज्य (North-East and Hill States) और केंद्रशासित प्रदेश/शहर राज्य/छोटे राज्य (Union Territories/City States/Small States) में विभाजित किया गया है। यह सूचकांक भारत में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में नवाचार हेतु वातावरण के निरंतर मूल्यांकन के लिये एक व्यापक रूपरेखा तैयार करता है।नवाचार सूचकांक की गणना पांच सक्षमकर्ता (Enabler) मानदंडों और दो प्रदर्शन (Performance) मानदंडों के माध्यम से की गई है इन मानदंडों में –

सक्षमकर्ता (Enabler) मानदंड

  1. मानव पूंजी
  2. निवेश
  3. ज्ञान करता
  4. व्यवसायिक वातावरण और
  5. सुरक्षा तथा कानूनी वातावरण

प्रदर्शन (Performance) मानदंड

  1. उत्पादन और
  2. ज्ञान का प्रचार

नवाचार सूचकांक का कार्य (FUNCTION):

इसके निम्नलिखित तीन कार्य हैं-

  1. सूचकांक स्कोर के आधार पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की रैंकिंग करना।
  2. अवसरों और चुनौतियों की पहचान करना।
  3. नवाचार को बढ़ावा देने के लिये सरकारी नीतियों को मज़बूत करने में सहायता करना।

नवाचार सूचकांक का उद्देश्य:

  • भारत नवाचार सूचकांक का उद्देश्य भारत में नवाचार हेतु अनुकूल वातावरण तैयार करना है।
  • प्रतिस्पर्द्धात्मक संघवाद और सुशासन की अवधारणा को क्रियान्वित करना।
  • सूचकांक देश में नवाचार के वातावरण में सुधार करने हेतु इनपुट और आउटपुट दोनों घटकों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • भारत नवाचार सूचकांक भारत में नवाचार हेतु वातावरण की जांँच करता है। इसका उद्देश्य एक समग्र उपकरण (Tool) बनाना है जिसका उपयोग देश भर में नीति निर्माताओं द्वारा किया जा सके।

Read complete Indian Economics for India in Hindi

नवाचार सूचकांक 2020-21

नीति आयोग ने 2020 21 को भारत नवाचार सूचकांक 2020 जारी किया, इसमें महत्वपूर्ण यह है कि इस रिपोर्ट में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की नवाचार क्षमताओं और प्रदर्शन को मापा गया है यह सूचकांक का दूसरा संस्करण है सूचकांक का पहला संस्करण अक्टूबर 2019 में जारी कर दिया गया था यह सूचकांक नीति आयोग द्वारा ‘इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस’ (The Institute for Competitiveness) के साथ मिलकर तैयार किया जाता है.  प्रमुख राज्यों की श्रेणी में अगर देखें कर्नाटक में शीर्ष स्थान बरकरार रखा है जबकि तमिलनाडु को पीछे छोड़ते हुए महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर आ गया है तमिलनाडु तीसरे तेलंगाना चौथे पांचवें हरियाणा छठे,  आंध्र प्रदेश सातवें,  गुजरात आठवे,  उत्तर प्रदेश को नवां और पंजाब को दसवां स्थान प्राप्त किया है. बिहार को सबसे निचला स्थान 17 हासिल हुआ है

केंद्र शासित प्रदेश और छोटे राज्य की श्रेणी में 46 पॉइंट के साथ सभी समूहों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला दिल्ली पहले स्थान पर जबकि चंडीगढ़ दूसरे स्थान पर रहा. लक्ष्यदीप अंतिम स्थान पर रहा,  पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में अगर देखें तो हिमाचल प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त हुआ इसके बाद उत्तराखंड और मणिपुर और इसके बाद सिक्किम का स्थान है मेघालय सबसे नीचे दसवें स्थान पर रहा.

नवाचार सूचकांक 2020-21 का आगे के लिए सुझाव

अनुसंधान में अधिक निवेश करना: भारत को अनुसंधान एवं विकास पर निवेश को बढ़ाने की आवश्यकता है जो कि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.6-0.7% है। यह इज़राइल (4.3%), दक्षिण कोरिया (4.2%), अमेरिका (2.8%) और चीन (2.1%) जैसे देशों के स्तर से काफी कम है।  उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच अधिक सहयोग से तथा अनुसंधान और विकास पर निवेश में वृद्धि से नवाचार क्षमता बढ़ाने में मदद मिल सकती है। यह देश में शीर्ष अनुसंधान संस्थानों की क्षमता को व्यापक और बेहतर बना सकता है जिससे अधिक-से-अधिक नवाचार क्षमताओं का सृजन किया जा सके।

एक सहयोगी प्लेटफॉर्म की स्थापना: नवाचार के सभी हितधारकों को उद्योग से जोड़ने के लिये नवप्रवर्तकों, शोधकर्त्ताओं और निवेशकों हेतु एक सामान्य मंच विकसित किया जाना चाहिये। यह उद्योग-अकादमिक संपर्क को मज़बूती प्रदान करने में सहायता करेगा और अपने आविष्कारों को प्रदर्शित करने के लिये नवप्रवर्तकों को एक मंच प्रदान कर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।

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