14वें वित्त आयोग से संबंधित तथ्यात्मक विवरण

चादहवें वित्त आयोग  से संबंधित तथ्यात्मक विवरण14वें वित्त आयोग का गठन जनवरी, 2013 में किया गया तथा अपनी रिपोर्ट संस्तुतियों सहित महामहिम राष्ट्रपति को 15 दिसंबर, 2014 को प्रस्तुत की गई। • रिपोर्ट को कार्यवाही ज्ञापन सहित केंद्र सरकार द्वारा 24 फरवरी, 2015 को संसद में प्रस्तुत किया गया। आयोग द्वारा राज्यों का विभाज्य पूल में अंश को 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया गया है। कुल अधिकतम केंद्रीय अंतरण, केंद्र सरकार के सकल कर राजस्व का 49 प्रतिशत की सीमा तक ही रहेगा। उत्तर प्रदेश की कर हिस्सेदारी में अंश विगत आयोग की तुलना में 19.667 प्रतिशत से घटकर 17.959 प्रतिशत तथा सेवा कर में अंश 19.987 प्रतिशत से घटकर 18.205 प्रतिशत रह गया है।

प्रदेश की पंचायती राज संस्थाओं को रु. 35,776.56 करोड़ तथा नगर निकायों को रु. 10,249.21 करोड़ प्राप्त होग, जा गत आयोग द्वारा दी गई धनराशि से क्रमश: 265 प्रतिशत एवं 247 प्रतिशत अधिक है। राज्यों को संपत्ति कर, शहरों की परिधि पर स्थित पंचायतों द्वारा खाली भूमि पर कर, विज्ञापन कर, मनोरंजन कर, व्यवसायिक कर लगाये जाने की संस्तुति की गई है। यदि कर आरोपित हैं, तो उनकी समीक्षा करनी चाहिए।

वर्ष 2015-20 की अवधि में राज्य के लिए एस.डी.आर.एफ.कोष रु.3,729 करोड़ है, जिसमें राज्य का योगदान 10 प्रतिशत तथा 90 प्रतिशत हिस्सेदारी संघीय सरकार की होगी। केंद्र सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि जी.एस.टी. प्रणाली लागू होने के पश्चात आपदा संबंधी उक्त संस्तुति लागू की जाएगी तथा तब तक एस.डी.आर.एफ. में राज्यों का अंश पूर्व की भांति (अर्थात 25प्रतिशत) ही रहेगा।

14वें वित्त आयोग द्वारा पूर्व आयोगों द्वारा राज्यों की विशिष्ट समस्याओं हेतु दिए जा रहे अनुदान को समाप्त कर दिया गया है। आयोग के अनुसार राज्यों को अतिरिक्त फिस्कल स्पेस दी गई है, जिससे वह समुचित व्यवस्था अपने संसाधनों से कर सकते हैं। आयोग की संस्तुति है कि 1 अप्रैल, 2015 से राज्य सरकारों को एन.एस.एस.एफ. के कार्यों से अलग रखा जाना चाहिए। सभी राज्यों का राजकोषीय घाटा, सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत की वार्षिक सीमा के अंदर होंगे। राज्य 0.25 प्रतिशत अतिरिक्त लोचनीयता के पात्र होंगे, यदि उनका ऋण-जीएसडीपी अनुपात उसके पिछले वर्ष में 25 प्रतिशत से कम है, 0.25 प्रतिशत की लोचनीयता ब्याज भुगतान में राजस्व प्राप्तियों का 10 प्रतिशत से कम होने पर पर भी प्राप्त होगी।

आयोग की सिफारिश है कि राज्य सरकारों को राजकोषीय घाटे पर सांविधिक लचीले सीमाओं का प्रावधान करने हेतु अपने एफ.आर.बी.एम. अधिनियमों में संशोधन करना चाहिए। आयोग की संस्तुति है कि शुरू में, संघ को जी.एस.टी क्षतिपूर्ति देने के कारण उत्पन्न अतिरिक्त राजकोषीय बोझ का वहन करना होगा। आयोग द्वारा वस्तु एवं सेवा कर, राजकोषीय परिवेश और वित्तीय समेकन रूपरेखा जन सुविधाओं के मूल्य निर्धारण, पब्लिक सेक्टर उद्यमों और सरकारी व्यय प्रबंध प्रणाली संबंधी विषयों पर की गई संस्तुतियों के संदर्भ में भारत सरकार द्वारा कार्यवाही ज्ञापन में कहा गया है कि विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श कर इन सिफारिशों पर यथा समय निर्णय लिया जाएगा

कृषि में कार्यरत कर्मकरों की स्थिति वर्ष 2011 की जनगणनानुसार उत्तर प्रदेश में कुल 658.15 लाख कर्मकर थे, जिसमें 190.58 लाख कृषक एवं 199.39 लाख कृषि श्रमिक थे। कुल कर्मकरों में कृषकों एवं कृषि श्रमिकों का प्रतिशत अंश 59:3 था। जोतों का आकार-कृषि गणना 2005-06 के आंकड़ों से विदित होता है कि उत्तर प्रदेश में कुल जोतों में एक हेक्टेयर से कम आकार वाली जोतों का प्रतिशत 78.0 था, जो कि वर्ष 2015-16 में बढ़कर 80.2 प्रतिशत हो गया। २ स्पष्ट है कि प्रदेश में जोतों का औसत आकार घटता जा रहा है। २ वर्ष 2015-16 की कृषि गणना के आधार पर प्रदेश में कुल कृषकों की संख्या 238.22 लाख है, जिसमें से 221.08 लाख (92.8 प्रतिशत) कृषक लघु एवं सीमान्त श्रेणी के हैं, उनके पास प्रदेश के कुल कृषित क्षेत्रफल का 65.7 प्रतिशत कृषि क्षेत्रफल है।

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