कृषि विज्ञान की क्रान्तियाँ (Reeducation of Agriculture)

कृषि विज्ञान की क्रान्तियाँ (Reeducation of Agriculture) :-

(1) भारत में हरित क्रान्ति (Green Revolution in India) :-

नेशनल डेरी रिसर्च इन्स्टीट्यूट की स्थापना 1955 ई0 में कर्नाल हरियााणा में की गई थी।

पीली क्रान्ति (Yellow Revolution) :- 

कृषि क्षेत्र में अनुसन्धान एवं विकास की अगली कड़ी पीली क्रान्ति है। इसके तहत तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से उत्पादन प्रसंस्करण एवं प्रबन्ध प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम उपयोग करने की दृष्टि से तिलहन प्रबन्ध प्रौद्योगिकी मिशन प्रारम्भ किया गया। पीली क्रान्ति के परिणाम स्वरूप भी हमारा देश खाद्य तेलों और तिलहन उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर सका है।

नीली क्रान्ति (Blue Revolution) :-

देश में मत्स्य उत्पादन में वृद्धि के लिए चलाई गई योजना नीली क्रान्ति कहलाती है। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राष्ट्र है। (आर्थिक समीक्षा 2014-15) देश में मछली उत्पादन में शीर्ष राज्य क्रमशः पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, केरल एवं तमिलनाडु का है। संसार में सर्वाधिक मछली उत्पादन चीन में होता है। राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड की स्थापना हैदराबाद में है।

गोल क्रान्ति (Round Revolution) :-

केन्द्रीय आलू अनुसन्धान शिमला द्वारा विकसित प्रौद्योगिकयों एवं रोगरोधी किस्मों के परिणाम स्वरूप भारत में ’’आलू क्रान्ति’’ सम्भव हुई जिस गोल क्रान्ति की संज्ञा दी जाती है भारत चीन के बाद विश्व की दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है। देश में शीर्ष तीन आलू उत्पादक राज्य क्रमशः उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल तथा बिहार है।

संसार के प्रत्येक देश में अनुसन्धान के फलस्वरूप वहाँ की परम्परागत खेती का सुधार हुआ। सन् 1908 ई0 में अमेरिका सोसाइटी आॅफ इग्रोनामी की स्थापना हुई। भारत के सन्दर्भ में हरित क्रान्ति का तात्पर्य छठे दश के मध्य (1966-67) में कृषि उत्पादन में उस तीव्र वृद्धि से है जो ऊँची उपज वाली बीजों एवं रासायनिक खादों व नई तकनीक के प्रयोग के फलस्वरूप हुई।

हरित क्रान्ति शब्द के जन्मदाता डाॅ0 विलियम गार्ड थे और भारतीय परिप्रेक्ष्य में डा0 एम0एस0 स्वामीनाथन को माना जाता है जबकि हरित क्रान्ति के जन्मदाता के रूपा में नूरमाॅन बोरलाॅग को जाना जाता है। हरित क्रान्ति का प्रभाव मुख्यता गेहूँ और कुछ हद तक धान की फसल पर दिखाई पड़ता। इसका प्रभाव सम्पूर्ण भारत में न होकर कुछ क्षेत्रों पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि तक सीमित रह गया।

देश की बढ़ती हुयी जनसंख्या को ध्यान में रखकर दूसरी हरित क्रान्ति की आवश्यकता डा0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम ने बताई। जिसमें मिट्टी से लेकर विपणन तक किस-किस पहलुओं का समावेश हो। इसी सम्बन्ध में नई दिल्ली में 2006 ई0 में एक सम्मेलन कृषि मन्त्रालय भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद CSRI व एसोचैम के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुआ है। जिसका मुख्य थीम ’नाॅलेज एग्रीकल्चर’ था।

श्वेत क्रान्ति (White Revolution) :-

दूध उत्पादन में तीव्र वृद्धि ही श्वेत क्रान्ति कहलाता है। (1964-65) में सघन पशु विकास का कार्यक्रम चलाया गया। जिसके अन्तर्गत धवल श्वेत क्रान्ति लाने के लिए पशुमालिकों को पशु पालन के तरीके में सुधार लाने के लिए व्चमतंजपवद सिनक चलाया गया, जिसके सूत्राधार वर्गीज कुरियन थे।
विश्व में दूध उत्पादन में भारत का पहला स्थान है तथा दूसरा स्थान अमेरिका का है। भारत में सबसे अधिक पशु संख्या भी है।

गुलाबी क्रान्ति (Pink Revolution) :-

भारत के समस्त मछली निर्यात में झींगा मछली का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत में संसार को सर्वाधिक झींगा मछली निर्यातक राष्ट्र है। इस मछली के उत्पादन को तैयार करने के लिए एक मिशन तैयार किया गया, जिसके फलस्वरूप झींगा मछली के उत्पादन में तीव्र वृद्धि हुई। जिस गुलाबी क्रान्ति की संज्ञा प्रदान की गई।
गुलाबी क्रान्ति का सम्बन्ध प्याज उत्पादन से भी है।

कृष्ण क्रान्ति (Black Revolution) :-

पेट्रोलियम पदार्थों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए कृष्ण क्रान्ति की तरफ सरकार का कदम बढ़ा है। इसी परिप्रेक्ष्य में बायो डीजल में उत्पादन करने में सरकार की योजना है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने 2004 को बायो टेªड के रूप में मनाया था।

धूसर क्रान्ति (Grey Revolution) :-

उर्वरक उपभोग में वृद्धि हेतु किए गए प्रयास को धूसर क्रान्ति की संज्ञा दी गई। उर्वरकों के उपभोग में पुदुचेरी का प्रथम तथा आन्ध्र प्रदेश का दूसरा स्थान है।

रजत क्रान्ति (Silver Revolution) :-

मुर्गी तथा अण्डा उत्पादन में सुधार के लिए किये गये प्रयास को रजत क्रान्ति के उपमा दी जाती है भारत का विश्व में अण्डा उत्पादन में चीन एवं यू0एस0ए0 के बाद तीसरा स्थान है। शीर्ष तीन अण्डा उत्पादक राज्यों में आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल है।

सुनहरी क्रान्ति (Golden Revolution) :-

सुनहरी क्रान्ति का तात्पर्य बागवानी उत्पादन में वृद्धि से है, जिसमें विशेषकर सेब उत्पादन से है। भारत का सब्जी तथा फल उत्पादन में दूसरा स्थान है। वर्ष 2012-13 में बागवानी क्षेत्र में फिर से GDP में 30.40% का योगदान किया था।

इन्द्र धनुषीकरण क्रान्ति (Rainbow Revolution) :-

कृषि क्षेत्र की विभिन्न क्रान्तियों जैसे-हरित, श्वेत, काली, नीली, पीली आदि को एक श्रंखला क्रान्ति के रूप में लेकर चलने को इन्द्र धनुषी क्रान्ति कहा जा रहा है। नई कृषि नीति का वर्णन इन्द्र धनुषीय क्रान्ति के रूप में किया जाता है।

सदाबहारी क्रान्ति(Evergreen Revolution) :

हरित क्रान्ति की सफलता के बाद देश के खाद्यान्न अनुपालन को वर्तमान स्तर से दुगुना करने के लिए सदाबहारी क्रान्ति के आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस क्रान्ति का विचार एम0एस0 स्वामीनाथ ने 25 जनवरी 2006 को ओ0एम0 बंटूर ने एक व्याख्यान में व्यक्त किया था। विज्ञान की सर्वश्रेष्ठ तकनीकों के इस्तेमाल व आर्गेनिक फार्मिक में शोध को बढ़ावा देने पर उन्होंने बल दिया।

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