कार्बन के आक्साइड

कार्बन के आक्साइड

1. कार्बन मोनो आक्साइड (CO) :- यह रंगहीन तीव्र गंध से युक्त गैस है। यह गैस ज्वालामुखी से निकलने वाली गैसों में, जलती हुई भट्टी में, मोटर गाड़ी एवं तम्बाकू के धुएं में पाई जाती है। यह एक अति विषैली गैस है। श्वास लेने पर यह रक्त के हीमोग्लोबिन से संयुक्त होकर कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन नामक यौगिक बनाती है। इसके बन जाने पर रक्त आॅक्सीजन को ग्रहण करने में असमर्थ हो जाता है। अतः एक प्रकार की घुटन का अनुभव होता हे। यदि अधिक मात्रा में इसे ग्रहण कर लिया जाये तो पहले झपकी सी आने लगती है, फिर बेहोशी आती है और अंत में मृत्यु हो जाती है। यह वाटरगैस (CO+H2) तथा प्रोड्यूसर गैस (CO+N2) के रूप में ईंधन के समान प्रयुक्त होती है। इसका उपयोग मेथेनाॅल, कृतिम पेट्रोल तथा फाॅस्जीन के निर्माण में भी होता है।
2. कार्बन डाई आक्साइड (CO2) :- यह गुफाओं तथा खानों में पाई जाती है तथा यह ज्वालमुखियों से निष्कासित होती है। यह एक तीव्र दुर्गन्ध युक्त रंगहीन गैस है। यह वायु से 1.5 गुना भारी है तथा जल के समान नीचे उड़ेली जा सकती है। इसे दाब 50-60 वायुमण्डल के अन्तर्गत आसानी से द्रवित किया जा सकता है तथा ठोस भी बनाया जा सकता है। ठोस कार्बन डाई आॅक्साइड तकनीकी रूप से शुष्क बर्फ कहलाती है। क्योंकि यह बिना द्रवित हुए वाष्पित ऊध्र्वापातित हो जाती है। यह – 78° पर ऊध्र्वापाति होती है। ठोसCO2 ड्राईआइस के व्यापारिक नाम से प्रशीतन में प्रयुक्त होती है। ठोस CO2 त्वचा पर जलन उत्पन्न करती है। इसलिए इसे सावधानी से प्रयुक्त करना चाहिए। यद्यपि CO2 प्रकृति में विषैली नहीं है, फिर भी यह जीवन के अनुकूल नहीं होती तथा जंतु आॅक्सीजन की कमी से मर जाते हैं।

सिलिकाॅन (Silicon)

कांच (Glass) :- काँच धात्विक सिलिकेटों जिनमें क्षार धातु के सिलिकेट होना आवश्यक है, का आक्रिस्टलीय पारदर्शक या अल्पपारदर्शक मिश्रण है। कांच एक अक्रिस्टलीय, कठोर भंगुर, पारदर्शक, अनिश्चित श्यानता का अति प्रशीतित द्रव है। यह एक वास्तविक ठोस (जैसा कि प्रतीत होता है) नहीं है, यह अन्य सिलिकेटो के मिश्रण में सिलिका का विलयन है, जो ठण्डा करने पर क्रिस्टलीय नहीं होता। कांच को निम्न सामान्य सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है-

                                  xM2O,yM¹O,6SiO2

यहां M क्षार धातु जैसे Na या द्विसंयोजक K,M¹- द्विसंयोजक धातु जैसे Pb या Ca,x और y अणुओं की संख्या।
काँच की किस्में :- सोडा, मृदु (soft) सोडा लाइम य साधारण कांच- यह सोडियम तथा कैल्शियम सिलिकेटों का मिश्रण है।
2-पोटाष काठोर या पोटाॅष लाइम काॅच :- यह पोटैशियम सिलिकेटों का मिश्रण है।
3-लैड, फ्लिंट या लेड पोटष काॅच :- यह लैड तथा पौटैशियम सिलिकेटों का मिश्रण है। इसका उच्च अपवर्तनांक होता है, इसलिए प्रिज्म, लेन्स तथा अन्य तथा अन्य प्रकाशिक यंत्र बनाने में प्रयुक्त होता है।
4- क्रुक्स काँच :- यह सीरियम आॅक्साइड से युक्त विशेष प्रकार का प्राकृतिक काॅच है जो आंखों के लिए हानिकारक अल्ट्रावायलेट (UV) किरणों को रोकता है।
5- सिलिका या क्वार्टज काँच :- यह शुद्ध सिलिका से प्राप्त होता है। इसका प्रसार गुणांक निम्न होता है तथा जब इसे लाल तप्त करके जल में डुबोया जाता है तो यह टूटता नहीं है।
6- नाइट्रोजन (N2) :- वायु मुक्त नाइट्रोजन का सबसे अधिक प्राप्य स्रोत है। नाइट्रोजन जीवों तथा पौधों में पाये जाने वाले सभी प्रोटीनों का अवयव, है। नाइट्रोजन वायु में आॅक्सीजन की क्रिया को तनु करने का कार्य करती है तथा इसके दहन की दर बहुत कम होती है।
नाइट्रस आक्साइड (N2O) :- यह तीव्र दुर्गन्ध युक्त, रंगहीन, उदासीन गैस हैं। यह वायु से भारी है, ठण्डे जल में अत्यधिक विलेय है परंतु गर्म जल में नहीं। यह प्राकृत मे विषैली है। जब इसे औसत मात्रा में सूंघ जाता है तो यह पागलों जैसी हंसी उत्पन्न करती है, इसलिए इसे हास्य गैस (Laughing gas)भी कहते हैं।
नाइट्रिक अम्ल (4HNO3) :- त्वचा पर इसकी संक्षरण क्रिया तीव्र होती है। सांद्रित CO3 लोहे को निष्क्रिय कर देता है। नाइट्रिक अम्ल का प्रयोग विस्फोटक (टी0एन0टी0 नाइट्रोग्लिसरीन, डायनामाइट तथा गन काॅटन), उर्वरकों जैसे कैल्शियम तथा अमोनियम  नाइट्रेट, कृत्रिम रेशम रंग, इत्र तथा औषधियों के निर्माण मे तथा चाँदी एवं स्वर्ण के शोधन में होता है।
मोनिया (NH3) :- यह एक विशेष तीव्र गंध वाली रंगहीन गैस है। यह आॅखों में आंसू ला देती है। यह वायु से हल्की होती है तथा जल में अत्यंत विलेय है। द्रव अमोनिया प्रशीतन में प्रयुक्त होती है। यह ड्राइक्लीनिंग में ग्रीस हटाने के लिए शोधक के रूप में कृत्रिम सिल्क के निर्माण में प्रयुक्त होती है।
आक्सीजन (O2) :- यह रंगहीन, गंधहीन तथा जल में अल्प विलेय स्वादहीन गैस है। यह ज्वलनशील नहीं है परन्तु दहन क्रिया के लिये आवश्यक है। आॅक्सीजन को CO2 या हीलियम के साथ मिश्रण करके कृत्रिम श्वसन के लिए प्रयुक्त किया जाता है। द्रव आक्सीजन को सूक्ष्म विभाजित कार्बन के साथ मिलाकर कोयले की खानों मे डाॅयनामाइट के प्रतिस्थायी के रूप मे प्रयुक्त किया जाता है। द्रव आॅक्सीजन राकेटों के ईधनों का एक महत्वपूर्ण अवयव है।
ओजोन (O3) :- यह मछली जैसी विशिष्ट गंध युक्त पीली-नीली गैस है। यह एक विषैली गैस है। श्वास वायु में 100 PPM से अधिक ओजोन सिर दर्द तथा श्वास समस्या उत्पन्न करती है। शरीर ऊतकों पर इसकी विनाशकारी क्रिया होती है तथा के विस्फोटक होने के कारण यह एक खतरनाक गैस है। इसका उपयोग अधिकांशतः जल के जीवाणु शोधक के रूप में तथा सिनेमा हाल, भूमिगत सुरंगों आदि के समान भीड़युक्त स्थानों के वातावरण के संशोधन के लिए किया जाता है।

नोट :-

  1.  नाइट्रोजन की खोज डेनियल रदरफोर्ड ने तथा अमोनिया की खोज हैबर ने की थी।
  2.  आॅक्सीजन की खोज प्रीस्टले ने तथा फास्फोरस की खोज ब्रांड ने की थी।
  3.  क्लोरीन की खोज शीले ने तथा ओजोन की खोज स्कोनबेन ने की थी।
  4.  रसायनों का राज कहा जाता है – सल्फ्यूरिक अम्ल को।
  5.  सर्वाधिक विघुत ऋणात्मक तत्व है – फ्लोरीन।
  6.  सर्वाधिक  विघुत धनात्मक तत्व है – फ्रैंसियम।
  7.  प्लास्टर आॅफ पेरिस बनाया जाता है – जिप्सम से।
  8.  मानव निर्मित प्रथम तत्व है – पोलोनियम।
  9.  सबसे हल्की धातु लीथियम है तथा भारी धातु – ओसमियम।
  10.  मतदाताओं की उंगलियों पर लगाई जाने वाली स्याही बनती है – सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) से।
  11.  शोरो पोटैशियम नाइट्रेट होता है। शोरे का अम्ल है – नाइट्रिक अम्ल।
  12. लाल दवा कहते हैं – पोटैशियम परमैगनेट को
  13.  गैस द्रव्य की वह अवस्था है जिसका आयतन तथा आकार दोनों अनिश्चित होते हैं। गैस जिस बर्तन में भरी जाती है, वही उसका आकार हो जाती है।
  14.  गैसीय अवस्था में पदार्थ के अणुओं के मध्य दूरी अधिकतम होती है। गैसीय अवस्था में पदार्थ के अणु अनियमित रूप से गति करते हैं। ऐसी स्थिति में इनका आयतन एवं आकार दोनों अनिश्चित होता है।
  15.  जिस ताप पर द्रव का वाष्प दाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है, उसे क्ववथनांक कहते हैं। इस ताप पर कोई भी द्रव उबलने लगता है।

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