आनुवंशिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering)

आनुवंशिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering)

सुजननिकी (Eugenics) :- व्यावहारिक आनुवंशिकी की वह शाखा है जिसके अनतर्गत आनुवंशिकी के सिद्धान्तों की सहायता से मानव की भावी पीढ़ियों में लक्षणों की वंशागति को नियन्त्रित करके मानव की नस्ल को सुधारने का अध्ययन किया जाता है।

सुजननिकी का वास्तविक उद्देश्य मानव जाति के आनुवंशिक लक्षणों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुधार करना है। अनुपयुक्त तथा निम्न कोटि के लक्षणों की वंशागति को रोकना तथा सम्पूर्ण जीन राशि को सुधारना सुजननिकी के अन्तर्गत आता है। इस कार्य के लिए समाज के व्यक्तियों के आनुवंशिक स्तर का पहले अध्ययन किया जाता है। इसके बाद दो प्रकार की विधियाँ उपयोग में लायी जा सकती हैं-निषेधात्मक सुजननिकी (Negative Eugenics) तथा स्वीकारात्मक सुजननिकी (Positive Eugenics)।

निषेधात्मक सुजननिकी में निम्न कोटि के आनुवंशिक लक्षणों वाले व्यक्तियों को सन्तानोत्पति करने से रोका जाता है। इसमें वैवाहिक प्रतिबन्ध, पृथक्करण (अयोग्य व्यक्तियों को यौग्य व्यक्तियों से पृथक रखना), वन्ध्याकरण – (Sterilization)पुरुषों में वैसेक्टामी (Vasectomy) तथा महिलाओं ट्यूबेक्टामी (Tubectomy) सन्तति नियन्त्रण  गर्भ के समय भावी सन्तान के आनुवंशिक लक्षणों का पता लगाकर तथा निम्न श्रेणी के सन्तान के आनुवंशिक लक्षणों का पता लगाकर तथा निम्न श्रेणी के लक्षण होने पर गर्भपात (Abortion) के द्वारा जन्म से पूर्व ही संतति को समाप्त कर देना आदि का अध्ययन किया जाता है।

सकारात्मक या स्वीकारात्मक सुजननिकी में अच्छे व उच्च कोटि के आनुवंशिक लक्षणों वाले व्यक्तियों को अधिक सन्तानोत्पत्ति के लिए प्रोत्साहित करना आदि आता है। इसके लिए अनेक प्रकार की विधियों का प्रयोग किया जाता है जैसे-

(1) सहचर का उत्कृष्ट चुनाव :- जातीय, धार्मिक, सामाजिक प्रतिष्ठा, दहेज, राष्ट्रीयता एवं भौगोलिक आदि संकीर्ण आधारों पर न होकर उच्च आनुवंशिक लक्षणों के आधार पर होना चाहिये।

(2) जननिक चयन (Grem Selection) :- श्रेष्ठतम आनुवंशिक लक्षणों वाले पुरुषों के वीर्य को शुक्राणु बैंक (Sperm Bank) में सुरक्षित रखना तथा कृत्रिम गर्भाधान द्वारा श्रेष्ठ सन्तानों के लिए इसका उपयोग करना चाहिये।

(3) उच्च आनुवंशिक लक्षणों वाले जनन द्रव्य का अधिकाधिक उपयोग :- लाभदायक तथा उच्च कोटि के जर्मप्लाज्म का अधिकाधिक उपयोग करना चाहिये। श्रेष्ठ लक्षणों वाले स्त्री व पुरुषों को यथा समय विवाह करना चाहिये तथा अधिक सन्तान उत्पन्न करनी चाहिये।

(4) जीन सर्जरी तथा जीन इंजीनियरिंग :- आनुवंशिक पदार्थ में अनेक विधियों के द्वारा रासायनिक परिवर्तन या विकिरण द्वारा व्यक्ति के जीन पदार्थ DNA में उत्परिवर्तन द्वारा श्रेष्ठ लक्षणों वाली सन्तान उत्पन्न की जा सकती है।

(5) चिकित्सीय इन्जीनियरिंग या यूफेनिक्स (Medical Engineering or Euthenics) :- इसमें घटिया किस्म के जीन्स के दृश्य रूपा  प्रकटन को रोक देने या बदल देने पर जोर दिया गया है। प्रत्येक जीन एक प्रोटीन के संश्लेषण को नियन्त्रित करता है और यह प्रोटीन फिर किसी दृश्य रूप लक्षणों के विकास के लिए उत्तरदायी होती है।

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